बुधवार, जून 10, 2020

देवताओं के वंशज


समुद्र मंथन के बाद
बचे हुए देवताओं के
तथाकथित वंशज
मानवता को मथते हुए
हवस के हाथों
बटोर रहे हैं
सोना- चांदी, महल - सिंहासन
अधिकार और कानून

उंडेल रहे हैं
आम आदमी के सपनों में
धर्म का खौफ़
भविष्य का भटकाव
भाग्यवाद का गरल

पुराणकथाओं से
उद्ध्रत करते हुए
दानवी अत्याचारों के प्रसंग
घूम रहे हैं खुले आम
आदमी के भेष में

वे जिनके उपदेशों की रोटी
बत्तीस बार चबाने पर
मीठी लगती है
वे जिनके पाँव
स्वार्थ की पूजा में
सिन्दूर लगे पत्थरों से बड़े हो जाते हैं

देवता का मुखौटा पहने
मायावी राहु केतुओं की
भीड़ बढ़ रही है
मनुष्य की कतारों में ।

-  शरद कोकास