सोमवार, अप्रैल 13, 2009

शरद कोकास की सुख दुःख की कवितायें -तरीका

दबे पाँव आते थे दुःख
इंसानों पर हमला कर
उन्हें खा जाते थे
उनकी दाढ़ में इन्सान का खून लगा था
वे नित नए इंसानों की तलाश करते
सुखी इंसानों का स्वाद उन्हें अच्छा लगता
वे चुपचाप आते
दोस्त बनकर
इन्सान के कंधे पर हाथ रखते
और गर्दन दबोच लेते

हमले का यह नायाब तरीका
उन्होंने इंसानों से ही सीखा था