एकांत श्रीवास्तव |
मेरे कवि मित्र एकांत श्रीवास्तव ने जब पहली बार यह कविता सुनी थी तो उन्हे यह कविता बहुत पसन्द आई थी .. सो यह कविता एकांत के लिये , और आप सभी के लिये ..जो जीवन की राहों पर चल रहे हैं और सामना कर रहे हैं हर आने वाले मोड़ का ..
मोड़
मोड़ बहुत हैं
जीवन की राह पर
अनदेखे अनचीन्हे मोड़
सपाट रास्तों से उपजी
मोड़ पर साफ दिखाई देता है
तय किया रास्ता
आनेवाला दृश्य
मोड़ पर बदल जाती है
हवा की दिशा
बदल जाता है
धूप का पहलू
बारिश का कोण
कभी अचानक आते हैं मोड़
कभी मिल जाता आभास
कभी कोई दिशा संकेत
सावधान करते हैं मोड़
मोड़ पर अक्सर ठिठक जाते लोग
टूट जाती लय
रुकने की सम्भावना होती मोड़ पर
टकरा जाने की भी
थक जाने की सम्भावना होती है
भटक जाने की
एक नये रास्ते की सम्भावना भी
यहीं से शुरू होती है ।
- शरद कोकास
( चित्र गूगल से साभार )