बुधवार, फ़रवरी 02, 2011

एक नये रास्ते की सम्भावना भी यहीं से शुरू होती है

एकांत श्रीवास्तव 
       मेरे कवि मित्र एकांत श्रीवास्तव ने जब पहली बार यह कविता सुनी थी तो उन्हे यह कविता बहुत पसन्द आई  थी .. सो यह कविता एकांत के लिये , और आप सभी के लिये ..जो जीवन की राहों पर चल रहे हैं और सामना कर रहे हैं हर आने वाले मोड़ का .. 

 मोड़

मोड़ बहुत हैं
जीवन की राह पर
अनदेखे अनचीन्हे मोड़

सपाट रास्तों से उपजी
ऊब तोड़ते हैं मोड़
मोड़ पर साफ दिखाई देता है
तय किया रास्ता
आनेवाला दृश्य
मोड़ पर बदल जाती है
हवा की दिशा
बदल जाता है
धूप का पहलू
बारिश का कोण

कभी अचानक आते हैं मोड़
कभी मिल जाता आभास
कभी कोई दिशा संकेत
सावधान करते हैं मोड़

मोड़ पर अक्सर ठिठक जाते लोग
गति हो जाती कम
टूट जाती लय
रुकने की सम्भावना होती मोड़ पर
टकरा जाने की भी
थक जाने की सम्भावना होती है
भटक जाने की

एक नये रास्ते की सम्भावना भी
यहीं से शुरू होती है ।

                        - शरद कोकास  

( चित्र गूगल से साभार )