अपनी युवावस्था में जगमोहन कोकास |
को उन्होंने इस संसार से विदा ली थी ।
जगमोहन कोकास का जन्म मध्यप्रदेश के बैतूल में हुआ था और वे
कवि भवानीप्रसाद मिश्र के शिष्य थे ।
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते हुए उन्होंने ओवरसीअर की नौकरी त्याग दी थी
और प्रायमरी स्कूल में शिक्षक की नौकरी से
शुरुआत कर अंत में बी एड कॉलेज में
प्राध्यापक बने।
उन्होंने इतिहास व हिन्दी में स्नातकोत्तर के अलावा एम एड और
प्रयाग से साहित्यरत्न भी
किया था ।
वे महाराष्ट्र के भंडारा शहर में रहे
और जीवन भर हिन्दी की सेवा करते रहे ।
यह उनके गुरू का आदेश था ।
आज प्रस्तुत है उनके द्वारा अनुवाद की गई वरवर राव की यह कविता ,
जो मुझे उनके पुराने कागज़ों में मिली ...
इसे पढ़ने के लिये इसे बड़ा करके देखें ...
पिता आज नहीं हैं लेकिन उनकी ढेर सारी तस्वीरेंऔर कुछ लेख मेरे पास हैं ।
इन्हें समय समय पर ब्लॉग पर देता रहूंगा ।
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आज हम लोग यानि मैं , मेरी छोटी बहन सीमा , पत्नी लता और बिटिया कोपल
यहाँ उन्हें याद कर रहे हैं ..
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