शको कोश
कविता ही ज़िन्दगी हो जहाँ ऐसी एक दुनिया है यहाँ... शरद कोकास और मित्रों की कविताएँ और लेख
शुक्रवार, जून 08, 2012
1988 की कवितायें नींद न आने की स्थिति में लिखी कविता –तीन
और यह एक छोटी सी कविता , जो दर असल छोटी नहीं है -
नींद न आने की स्थिति में लिखी कविता –तीन
नींद न आने की स्थिति में
तारे गिनने का उपदेश देने वाले
खुद कभी तारे नहीं गिनते
उनके और तारों के बीच
हमेशा एक छत होती है
हमारी मिहनत से बनाई हुई ।
शरद कोकास
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