कल शाम बारिश हो रही थी ... लगातार एक सुर में ... चारोँ ओर एक खामोशी सी छाई थी ... अचानक मोबाइल पर एक सन्देश आया .. कैसी बारिश है यह ..ऐसा लगता है जैसे कोई बिना आवाज़ रो रहा है । मन अचानक कई कई बरस पीछे लौट गया । याद आया ऐसे ही दिन थे वे जब मैं बेहद उदास था । उन दिनों मैने उदासी पर कुछ कवितायें लिखी थीं ..और उदासी पर कवितायें लिखने के बाद मेरी उदासी दूर हो गई थी । हो सकता है इन्हे पढ़ने के बाद आपकी उदासी दूर हो जाये और बारिश की बूँदों के संग बह जाये ....