शनिवार, सितंबर 22, 2012

1989 की कवितायें - दो तिहाई ज़िन्दगी

यह उन दिनों की कविता है जब नौकरी भी आठ घंटे करनी होती थी और मजदूरी के भी आठ घंटे तय होते थे , शोषण था ज़रूर लेकिन इतना नहीं जितना कि आज है । कुछ अजीबोगरीब बिम्बों के साथ लिखी यह कविता ...


59 दो तिहाई ज़िन्दगी

भुखमरी पर छिड़ी बहस
ज़िन्दगी की सड़क पर
मज़दूरी करने का सुख
कन्धे पर लदी अपंग संतान है
जो रह रह मचलती है
रंगीन गुब्बारे के लिये

कल्पनाओं के जंगल में ऊगे हैं
सुरक्षित भविष्य के वृक्ष
हवा में उड़ –उड़ कर
सड़क  पर आ गिरे हैं
सपनों के कुछ पीले पत्ते

गुज़र रहे हैं सड़क से
अभावों के बड़े- बड़े पहिये
जिनसे कुचले जाने का भय
महाजन की तरह खड़ा है
मन के मोड़ पर

तब
फटी जेब से निकल कर
लुढ़कती हुई
इच्छाओं की रेज़गारी
बटोर लेना आसान नहीं है
मशीनों पर चिपकी जोंक
धीरे-धीरे चूस रही है
मुश्किलें हल करने की ताकत

चोबीस में से आठ घंटे बेच देने पर
बची हुई दो तिहाई ज़िन्दगी
कई पूरी ज़िन्दगियों के साथ मिलकर
बुलन्द करती है
जीजिविषा
रोटी और नींद का समाधान ।
                        शरद कोकास  

14 टिप्‍पणियां:

  1. हाँ कवि तो युग दृष्टा होता है ,समबुद्धि से भविष्य की घटनाओं को भांप लेता है .वह भविष्य कथन नहीं कहता ,कल्पना करता है जो यथार्थ सिद्ध हो जाती है .आज के cyborgs और कोयला खाने वाले उसने कल ही देख लिए थे .

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  2. रोटी और नींद के अतिरिक्त थोड़े शब्द भी जुटा पा रहा हूँ, दो तिहाई जिन्दगी में।

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  3. गुज़र रहे हैं सड़क से
    अभावों के बड़े- बड़े पहिये
    जिनसे कुचले जाने का भय
    महाजन की तरह खड़ा है
    मन के मोड़ पर

    सटीक बिम्ब ।

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  4. प्रिय ब्लॉगर मित्र,

    हमें आपको यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है साथ ही संकोच भी – विशेषकर उन ब्लॉगर्स को यह बताने में जिनके ब्लॉग इतने उच्च स्तर के हैं कि उन्हें किसी भी सूची में सम्मिलित करने से उस सूची का सम्मान बढ़ता है न कि उस ब्लॉग का – कि ITB की सर्वश्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉगों की डाइरैक्टरी अब प्रकाशित हो चुकी है और आपका ब्लॉग उसमें सम्मिलित है।

    शुभकामनाओं सहित,
    ITB टीम

    पुनश्च:

    1. हम कुछेक लोकप्रिय ब्लॉग्स को डाइरैक्टरी में शामिल नहीं कर पाए क्योंकि उनके कंटैंट तथा/या डिज़ाइन फूहड़ / निम्न-स्तरीय / खिजाने वाले हैं। दो-एक ब्लॉगर्स ने अपने एक ब्लॉग की सामग्री दूसरे ब्लॉग्स में डुप्लिकेट करने में डिज़ाइन की ऐसी तैसी कर रखी है। कुछ ब्लॉगर्स अपने मुँह मिया मिट्ठू बनते रहते हैं, लेकिन इस संकलन में हमने उनके ब्लॉग्स ले रखे हैं बशर्ते उनमें स्तरीय कंटैंट हो। डाइरैक्टरी में शामिल किए / नहीं किए गए ब्लॉग्स के बारे में आपके विचारों का इंतज़ार रहेगा।

    2. ITB के लोग ब्लॉग्स पर बहुत कम कमेंट कर पाते हैं और कमेंट तभी करते हैं जब विषय-वस्तु के प्रसंग में कुछ कहना होता है। यह कमेंट हमने यहाँ इसलिए किया क्योंकि हमें आपका ईमेल ब्लॉग में नहीं मिला।

    [यह भी हो सकता है कि हम ठीक से ईमेल ढूंढ नहीं पाए।] बिना प्रसंग के इस कमेंट के लिए क्षमा कीजिएगा।

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    1. धन्यवाद । यह डायरेक्टरी कहाँ उपलब्ध होगी ?

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  5. चोबीस में से आठ घंटे बेच देने पर
    बची हुई दो तिहाई ज़िन्दगी
    कई पूरी ज़िन्दगियों के साथ मिलकर
    बुलन्द करती है
    जीजिविषा
    रोटी और नींद का समाधान ।
    ....बहुत सही कहा आपने ....

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  6. शरद आज पहली बार मैं तुम्हारी ब्लॉग आया हूँ. आगे भी कोशिश करूँगा.

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  7. बुलन्द करती है
    जीजिविषा
    रोटी और नींद का समाधान ।
    ....बहुत सही कहा आपने ....

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