चलिये 1988 की कवितायें हो गईं अब 1989 की कविताओं पर आते हैं । यह पहली कविता - संगीत की तलाश । संगीत किसे बुरा लगता है ? यह निहायत फालतू सा सवाल होगा ना । बचपन में स्कूल में पढ़ा था संगीत और कोलाहल में अंतर । उन दिनों जब मेरी उम्र दस साल थी मैंने भंडारा के भारतीय संगीत विद्यालय में गायन की कक्षा में प्रवेश लिया था । कुछ कारण ऐसे रहे कि मैं आगे अध्ययन नहीं कर पाया लेकिन संगीत की दीवानगी बनी रही । यह दीवानगी ऐसी थी कि मैं हर कहीं संगीत तलाशता था । इस तरह इस कविता की प्रारम्भिक पंक्तियों ने जन्म लिया लेकिन तब यह कविता नहीं बन पाई । यह कविता बनी अपनी अंतिम पंक्तियों में जाकर । आप स्वयं देख लीजिये । यहीं जाकर मुझे समझ में आया कि संगीत और कोलाहल में क्या अंतर होता है ।
संगीत की तलाश
मैं तलाशता हूँ संगीत
गली से गुजरते हुए
तांगे में जुते घोड़े की टापों में
मैं ढूँढता हूँ संगीत
घन चलाते हुए
लुहार के गले से निकली हुंकार में
रातों को किर्र किर्र करते
झींगुरों की ओर
ताकता हूँ अन्धेरे में
कोशिश करता हूँ सुनने की
वे क्या गाते हैं
टूटे खपरैलों के नीचे रखे
बर्तनो में टपकने वाले
पानी की टप-टप में
तेली के घाने की चूँ-चूँ चर्र चर्र में
चक्की की खड़-खड़ में
रेलगाड़ी की आवाज़ में
स्वर मिलाते हुए
गाता हूँ गुनगुनाता हूँ
टूट जाता है मेरा ताल
लय टूट जाती है
जब अचानक आसमान से
गुजरता है कोई बमवर्षक
वीभत्स हो उठता है मेरा संगीत
चांदमारी से आती है जब
गोलियाँ चलने की आवाज़
मेरा बच्चा इन आवाज़ों को सुनकर
तालियाँ बजाता है
घर से बाहर निकलकर
देखता है आसमान की ओर
खुश होता है
वह सचमुच अभी बच्चा है ।
-- शरद कोकास
एक बेचैन दूसरा बच्चा है। प्रेम में डूबा संगीत क्या इतना झूठा है?
जवाब देंहटाएंसंगीत यहीं कहीं है/हर कहीं है बशर्ते सुना जाए
जवाब देंहटाएंयह कविता जितनी संगीत के लिये है उतनी ही यह कविता युद्ध के खिलाफ है
हटाएंजहाँ दर्द होगा वहाँ कोई कैसे संगीत सुनेगा।
जवाब देंहटाएंवहाँ दर्द ही संगीत होगा
हटाएंशरद भाई बहुत उम्दा कविता है .... दिल खुश हुआ ... तुम्हें बधाई ।
जवाब देंहटाएंनरेश , यह बहुत पहले की कवितायें हैं , खास तुम्हारे लिये ही यहाँ दे रहा हूँ ।
हटाएंbahut hi sundar post....abhar
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंआप के संगीत की खोज रुक सी जाती है गोली बमों की आवाज से, पर बच्चा तो बच्चा है ।
जवाब देंहटाएंमेरा बेटा भी १९७१ के युध्द के समय जब हम कलकत्ते में थे । शाम होते ही कोई भी लाइट जलती देख कर बैक आउट (ब्लैक आउट ) बैक आउट चिल्लाता घूमता था ।
आपने तो महसूस ही किया है मैं क्या कहूँ ..
हटाएंबहुत बहुत धन्यवाद अजय भाई
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