नाटक
एक से हाथ मिलाकर
उसने कहा हलो
दूसरे से मिला गले
लगाया एक कहकहा
बच्चे को उठाया गोद में
प्यार से चूमकर बढ़ गया आगे
भाभी जी से की नमस्ते
दोस्त की पीठ पर जमाई धौल
शिकायत के लहजे में पूछा
कहाँ रहते हो आजकल
वह कहता रहा कुछ न कुछ
इसलिये कि कहने को बहुत कुछ था ( यह चित्र मेरे कवि मित्र हरिओम राजोरिया और
उनकी पत्नी सीमा का है । दोनो बहुत अच्छे
वह कहता रहा कुछ न कुछ रंगकर्मी हैं और अशोकनगर म.प्र. में रहते हैं ,हाँ
वह कहता रहा कुछ न कुछ रंगकर्मी हैं और अशोकनगर म.प्र. में रहते हैं ,हाँ
इसलिये कि कहने को कुछ नहीं था कविता में जिस मित्र की विशेषता बताई गई है
वो ये नहीं हैं वो कोई और हैं )
कहते कहते थक गया
बैठ गया मित्र के पास
फिर कहने लगा
चर्चा में बने रहने के लिये
कितना नाटक करना पड़ता है ।
- शरद कोकास
nice
जवाब देंहटाएंनाटकीय !
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंकवि की पैनी नजर .. बाकियों को क्या नाटक का अहसास नहीं होता होगा ..
जवाब देंहटाएंकितना सहज है न सब ! / ?
@ वह कहता रहा कुछ न कुछ
जवाब देंहटाएंइसलिये कि कहने को बहुत कुछ था
वह कहता रहा कुछ न कुछ
इसलिये कि कहने को कुछ नहीं था
"हम बोलेंगे तो बोलोगे कि बोलता है"
:)
"उनको ये शिकायत है कि हम कुछ नहीं कहते
अपनी तो ये आदत है कि हम कुछ नहीं कहते।"
अब ऐसे आदमी को महफिल-ए-चर्चा से क्या लेना देना ? :)
सीधा सीधा बोलने पर अक्खड़ी कहलायेगा ।
जवाब देंहटाएंyah naatak to chhutbhaiye neta bhii siikh gaye hain...charcha men bane rahne ke liye.
जवाब देंहटाएं..achhi kavita.
जब आपने एक फोटो चेंप दी तो अनायास दूसरा कोई कैसे याद आता ?
जवाब देंहटाएंउसके बाद सायास कई ....:)
--यह टिप्पणी छापने के लिए नहीं है-:)
जवाब देंहटाएं-कविता में चित्र के रंग किये वाक्य [ विवरण] मिक्स हो गया है..कृपया जांच लिजीये.
'वह कहता रहा कुछ न कुछ
इसलिये कि कहने को बहुत कुछ था ( यह चित्र मेरे कवि मित्र हरिओम राजोरिया और
उनकी पत्नी सीमा का है । दोनो बहुत अच्छे
वह कहता रहा कुछ न कुछ'
अशोकनगर म.प्र. में रहते हैं ,हाँ
इसलिये कि कहने को कुछ नहीं था
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कुछ इस तरह पढ़ा जा रहा है..
चर्चा में बने रहने के लिए...
जवाब देंहटाएं-सही लिखते हैं..बहुत अच्छी कविता है.
-बाकि 'स्वाभाविक व्यवहार से अलग व्यवहार'अकस्मात भी हो जाता है.जो सायास करते हैं उन्हें आदत होती है..वैसे जो इस दुनिया में वास्तविक ज़िंदगी में जितना सफल अभिनय करना जानता है मेरे ख्याल से वह उतना ही सफल व्यक्ति है.
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंये भी एक अन्दाज़ है।
जवाब देंहटाएंआपकी बात की गहराई में उतर पाऊँ तो कुछ लिखूं। इतना नाटक करने से चलेगा क्या?
जवाब देंहटाएंशरद जी कहते हैं कि जिंदगी ही एक नाटक है तो जो करते हैं वो क्या गलत है. क्योंकि ज्यादातर सभी नाटक ही कर रहे होते है. आजकल किसी का भी असल चेहरा पढ़ पाना मुश्किल है
जवाब देंहटाएंज़माने का दस्तूर है जी....कुछ लोग इसे स्मार्ट नेस कहते है
जवाब देंहटाएंyah baat to blog jagat par bhi lagu hoti hai ...
जवाब देंहटाएंkya baat kahi hai sharad jee aap ne , bahut khoob,
जवाब देंहटाएंsaadar
आजकल कामयाबी चर्चा में टिके रहने में ही है ...और उसके लिए जरुरी है नाटकबाजी ...मगर एक और नाटकबाज आते ही खेल ख़तम ...
जवाब देंहटाएंवाह! हरिओम भाई और सीमा भाभी की तस्वीर देख के दिल ख़ुश हो गया और याद आया कि लंबे अरसे से उनसे मुलाक़ात बाकी है।
जवाब देंहटाएंsmart rachnaa ...sachhai
जवाब देंहटाएंसच है....करना ही पड़ता है चर्चा में बने रहने को...पर एक ऐसा मित्र जरूर होना चाहिए,ज़िन्दगी में, जिसके पास बैठ कर कह सके...
जवाब देंहटाएंचर्चा में बने रहने के लिये
कितना नाटक करना पड़ता है ।
आपके दोस्त में (अभी)नेता बनने के सारे गुण हैं ।
जवाब देंहटाएंनाटक हमेशा शानदार होता है.
जवाब देंहटाएंमजा आ गया.
बहुत ही शानदार.
शरद भाई ये नहीं तो कोई और ही सही । पर है तो दोस्त ही न। अब देखिए न हम भी यहां टिप्पणी इसीलिए कर रहे हैं कि चर्चा में रहें। वरना आज कौन किसकी सुनता है।
जवाब देंहटाएंयही चलन है आजकल ..जिसने नहीं किया वो गया...:)
जवाब देंहटाएंsundar, pyari, nyari kavita.
जवाब देंहटाएंये भी खूब रही...
जवाब देंहटाएंआप की रचना 9 जुलाई के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपने सुझाव देकर हमें प्रोत्साहित करें.
http://charchamanch.blogspot.com
आभार
अनामिका
.
जवाब देंहटाएंकरना पड़ता है जी, करना पड़ता है ।
हॉस्पिटल में भर्ती होकर एक एक करके सभी मित्रों को मोबाइलियाना पड़ता है ।
जो किसी कारणवश न हाज़िरी लगा सके, दग़ाबाज़ कह कर उसे गरियाना पड़ता है ।
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बहुत सुंदर रचना आदरणीय भाई साहब! संपूर्ण जीवन आदमी अभिनय ही तो करता है और चला जाता है। ईश्वर कराता है यह सब।
जवाब देंहटाएंचर्चा में बने रहने के लिये
जवाब देंहटाएंकितना नाटक करना पड़ता है ।
वाकई चर्चा में बने रहना जरूरी है और शायद इसीलिये जिन्दगी में नाटक भी जरूरी है
और फिर नाटक में बने रहने के लिये भी तो चर्चा जरूरी है
बहुत सुन्दर
शायद इसी लिए कहा गया है ...
जवाब देंहटाएंThe show must go on ...
शो भी तो एक नाटक ही है ...
स्वंय को चर्चा में लाने के लिए बहुत नाटक करने पड्ते है अच्छी कविता है ।
जवाब देंहटाएंshow aabhi baki hai dost?hariom or seema ki nice pic...
जवाब देंहटाएंअच्छा है चर्चा में बने रहना!
जवाब देंहटाएंसमाज के एक विशेष वर्ग को उजागर करती यह कविता स्वंय में विशेष है .
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