मंगलवार, सितंबर 08, 2009

पढ़े-लिखों से एक सवाल

जिनकी साक्षरता के लिये प्रयास किये जा रहे हैं उनमे से नब्बे प्रतिशत को नहीं पता होगा कि आज अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस है । पढ़े-लिखों में से भी कितनों को पता है !! टी.वी पर कुछ आ गया तो देख लिया वरना हम अपनी ज़िन्दगी में चैन से हैं हमे क्या करना है । कभी सोचा है हमने दिन भर में कितने निरक्षरों से हमें काम पड़ता है ? कामवाली बाई, धोबी,दूधवाला, मोची,पंचरवाला ,साफ सफाई करने वाला । हम कभी पूछते हैं उनसे भैया स्कूल क्यों नहीं गये ,और पूछ भी लेते हैं तो क्या कर देते हैं इनके लिये । आप मुझसे भी पूछ सकते हैं यह सवाल लेकिन मेरे पास इसका उत्तर है । मैने दुर्ग ज़िले के साक्षरता अभियान मे 5-6 वर्षों तक सक्रिय भागीदारी की है और एक अक्षर सैनिक से लेकर मुख्य स्त्रोत व्यक्ति तक का काम किया है । 90 से 95 तक का वह दौर जब सरकारी प्रयासों से अलग एक आन्दोलन की तरह यह अभियान हमारे दिमागों मे पलता था ,दिन भर और देर रात तक काम करने के बाद नींद में भी कई प्रश्न मचलते थे और कई बार कविता बनक कागज़ पर उतर आते थे । उसी दौर की एक कोंच-कविता जो जन गीत के शिल्प में है यहाँ दे रहा हूँ उन तमाम पढ़े-लिखे लोगों को याद करते हुए जो उस समय मेरे साथ थे और सफदर हाशमी, हरजीतसिंह हुन्दल और ऐसे ही कई कवियों की कविताओं के संग इसे भी गाया करते थे ।

पढ़े-लिखों से एक सवाल

रहते हुए आपके क्यों बुझी मशाल है
आप
हैं पढ़े लिखे आपसे सवाल है

ज्ञान
को ढोते हुए आप यहाँ गये
सुख
से भरी दुनिया में अपना मकाँ पा गये
अब भी क्यों अनपढ़ो का जीना मुहाल है
आप
हैं पढ़े लिखे आपसे सवाल है

संस्कार
जिस से लिये शब्द और भाषा के
उस
समाज को क्या दिया सिवाय निराशा के
प्रतिदान
के प्रश्न पर क्यों उठ रहा बवाल है
आप हैं पढ़े -लिखे आपसे सवाल है

बेटे
और बेटियाँ हैं आपके पढ़े-लिखे
नौनिहाल देश के विवशता के हाथों बिके
है
कर्तव्य आपका या फकत खयाल है
आप
हैं पढ़े -लिखे आपसे सवाल है

सुविधायें
ज़िन्दगी में जो आपकी जुटाते है
ज़िन्दगी में खुद की वो मुसीबतें उठाते हैं
रक्त का खौलना क्या क्षणिक उबाल है
आप
हैं पढ़े -लिखे आपसे सवाल है

-- शरद कोकास

(छवि गूगल से साभार )

25 टिप्‍पणियां:

  1. झकझोरनरने वाली पंक्तियां हैं। सार्थक प्रस्तुति शरद भाई...

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  2. जबरदस्त प्रस्तुति..आभार शरद भाई.

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  3. सार्थक सवाल है..चेतना और उल्लास भी जगाता है..!!

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  4. शरद जी, इस अभियान से तो मैं भी जुड़ा रहा। साक्षरता बहुत जरूरी है। इसे निरंतर जारी रहना चाहिए। दिवसों के फेर में पड़े बिना।

    जवाब देंहटाएं
  5. आप की बात लाज़मी है शरद जी..
    परंतु जहाँ पढ़े लिखे लोग भी निरक्षर लोगो जैसा बर्ताव कर रहे हैं..वहाँ के लिए क्या कहे.मुझे लगता है की साक्षरता दिवस मनाने के लिए एक दिन पर्याय नही है हमे नित साक्षरता के कुछ ना कुछ अध्याय सीखने चाहिए क्योंकि बस पढ़ना और लिखना ही साक्षर होने का प्रमाण नही है..

    रही बात आपके प्रस्तुति की... बेहतर..
    और भी बेहतर होगी जब लोग पढ़ कर इस लेख से कुछ सीख ले..

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  6. बहुत सही लिखा है आपने.. हैपी ब्लॉगिंग

    जवाब देंहटाएं
  7. लेख बहुत जायज़ है... और हर बात सटीक है... कुछ बरस मैंने भी पढाया है... इसलिए आप जिस आन्दोलन की बात कर रहे है समझता हूँ... मेरे ऑफिस में भी २ बन्दे पढ़े-लिखे नहीं हैं... लेकिन साथी लेवल पर वो बहुत- बहुत काम करते हैं... मैं उनका शुक्रगुजार रहता हूँ... और बहुत आदर भी देता हूँ...

    रहते हुए आपके क्यों बुझी मशाल है
    आप हैं पढ़े लिखे आपसे सवाल है

    अपने आप में बेमिसाल है यह दो लाइंस.. आइना दिखता हुआ...

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  8. सुविधायें ज़िन्दगी में जो आपकी जुटाते है
    ज़िन्दगी में खुद की वो मुसीबतें उठाते हैं
    रक्त का खौलना क्या क्षणिक उबाल है
    आप हैं पढ़े -लिखे आपसे सवाल है...bahut sahi swaal hai...

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  9. सुन्दर कविता एवं शिक्षा के प्रसार के बारे एक महत्वपूर्ण सवाल, शरद जी !

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  10. वन्दना जी ने यह टिप्पणी भेजी है ,उन्हे बहुत बहुत धन्यवाद vandana A dubey to me
    show details 5:27 PM (36 minutes ago)
    शरद जी,
    नमस्कार. मेरी टिप्पणी आपके ब्लॉग पर पोस्ट नहीं हो पा रही मेल से भेज रही हूँ प्लीज़ छाप दें, ब्लॉग पर.
    सचमुच बहुत मौके का सवाल है. अगर हर व्यक्ति अपने घर आने वाले इन निरक्षरों को साक्षर बनाने की ठान ले तो कितना अच्छा हो( वैसे मैने ये काम किया है और आज भी इस दिशा में निरन्तर प्रयासरत हूं).

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  11. लोग पढ़कर भूल जाते हैं यही मलाल है
    क्यों भूलते हैं, शिक्षितों से सवाल है।
    शरद जी माकूल कविता है, अच्छा बिम्ब गढ़ा है, विचारणीय है।

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  12. भाई शरद कोकास जी,

    आपकी पहले की यह कविता आज पढ़ कर मैं भी धन्य हो गया. मन प्रसन्न हुआ यह जान कर कि मेरी तरह ओर भी लोग हैं जो पढ़े लिखों से सवाल पहले से ही करते आ रहे हैं.

    मेरे ऐसे प्रश्न तथाकथित पढ़े-लिखों के नाम से मेरे ब्लाग पर प्रायः मिलता ही रहेगा.

    क्योंकि मेरा मानना है कि आदमी जितना ही साक्षर होता जायेगा, उसे बेवकूफ बना कर उससे संपत्ति, पैसे, इज्जत लूटने के लिए और अधिक उच्च तकनीक के प्लान इम्प्लीमेंट करने होंगे, जिसे ज्यादा पढालिखा उस्ताद ही अमलीजामा पहना सकेगा और बेचारा अनपढ़ कितना भी साक्षर होता जाये, हमेशा ठगा ही जाता रहेगा.

    मेरी समझ से साक्षरता के साथ ज्यादा जरुरत अपराधिक लूट-खसोट जैसी वृत्तियों को त्यागने की क्षमताओं के विकास की समझ पैदा करने की है.....................

    दूसरे शब्दों में संस्कार के साथ जीने में ही सम्मान का बोध होना चाहिए, और कुसंस्कारी, बदचलन का तिरस्कार..

    कहना होगा कि इन्सान हो तो इन्सान की तरह सहज रह कर दिखाओ.

    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर.
    www.cmgupta.blogspot.com

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  13. शरद जी बहुत ही सुंदर सवाल, मै जब भी घर (भारत) आता हुं तो काम वाली माई को हमेशा पुछता हुं कि तुम्हारी बेटी केसा पढ रही है, बेटा केस पढ रहा है, ओर शावस भी देता हु, ओर बार बार तागीद करता हुं कि बच्चो को खुब पढाना, ओर दोनो भाई बहिन अभी दसवी मै है, लेकिन पढ्ने मै बहुत होशियार, ओर समय समय पर बच्चो की मदद भी करता हुं,

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  14. साधु ! साधु !
    वाह शरदजी............
    बधाई शब्द बहुत छोटा पड़ रहा है.............
    नमन ठीक रहेगा...
    ____________नमन आपको !
    बहुत ख़ूब !

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  15. वाह बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने! रचना का हर एक शब्द दिल को छू गई! इस बेहतरीन और लाजवाब रचना और सुंदर प्रस्तुती के लिए ढेर सारी बधाइयाँ !

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  16. सुविधायें ज़िन्दगी में जो आपकी जुटाते है
    ज़िन्दगी में खुद की वो मुसीबतें उठाते हैं
    रक्त का खौलना क्या क्षणिक उबाल है
    आप हैं पढ़े -लिखे आपसे सवाल है
    प्रेरणादाई कविता के माध्यम से,पढ़े लिखों से बिल्कुल सही सवाल

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  17. SHASHAKT LIKHA HAI SHARAD JI .... SATEEK LIKHA AI, SAAMYIK LIKHA HAI .... PAR KYA KHAALI DIVAS MANAA LENE SE SAAKSHARTA POORI HO JAAYEGI ..... AAPKI RACHNA BAHOOT KUCH SOCHNE KO MAJBOOR KARTI HAI .,.......

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  18. 'रक्त का खौलाना क्या क्षणिक उबाल है...'
    यही सच है..

    जवाब देंहटाएं
  19. 'रक्त का खौलना * क्या क्षणिक उबाल है...'
    यही सच है....

    जवाब देंहटाएं
  20. जबरदस्त प्रस्तुति....सारगर्भित लेख,सुन्दर रचना...बहुत बहुत बधाई....

    जवाब देंहटाएं
  21. Aapke sawal kafee wicharneey hain , agar hum sab blogger ye pratigya kajen ki abse ek bachche ko usake high school tak jaroor padhayenge to samasya kafee sulaz sakti hai par sirf paise dekar nahee kitaben aur samay dekar bhee..

    Aur Kokas jee takapoona marathi shabd nahee hai ye maori bhasha ka shabd hai matalb muze bhi nahee pata. par hum to ise Poona aur taka in do marathi shabdon se hee yad rakhate the.

    जवाब देंहटाएं
  22. ज़रूरी सवाल उठाया है आपने भाई साहब
    और कविता में ढला भी ख़ूब है

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  23. रहते हुए आपके क्यों बुझी मशाल है
    आप हैं पढ़े लिखे आपसे सवाल है

    क्या सवाल दागा है शरद जी.....झकझोरता हुआ..अंतरात्मा को अन्दर तक हिलाता हुआ....
    अब भी नहीं जागे हम फिर कब ??

    वैसे कुछ हद तक ये जागरूकता आ गयी है
    अब देखना यह है की इस बुझती हुयी मशाल की लौ कब और तेज हो ...

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  24. जबरदस्त सवाल उठाया है आपने
    सारगर्भित - सुन्दर रचना
    बहुत बहुत बधाई




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