शको कोश
कविता ही ज़िन्दगी हो जहाँ ऐसी एक दुनिया है यहाँ... शरद कोकास और मित्रों की कविताएँ और लेख
रविवार, अप्रैल 12, 2009
शरद कोकास की सुख दुःख की कवितायें
हजार हाथ थे सुख के
जिनसे वह हजारों को
दुलार सकता था
दुःख के पास थी फकत दो ऑंखें
जिनसे वह करोड़ों को देखता
और दुखी कर देता *******
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