बुधवार, जून 13, 2012

1988 की कवितायें - नींद न आने की स्थिति में लिखी कविता –चार


नींद ना आने की स्थिति में एक चित्र और देखिये 

नींद न आने की स्थिति में लिखी कविता –चार

नींद आखिर  उड़कर कहाँ जाती होगी
शहर बीच खड़ी अट्टालिकाओं में
या बाहरी सीमा पर बसी
गन्दी बस्तियों में

सहमी खड़ी रहती होगी चुपचाप
बेटी के ब्याह की फिक़्र में जागते
बूढ़े बाप की देहरी पर

कोशिश करती होगी
बेटी के बिछौने पर जाने की
जो जाग रही होगी
बाप की छाती पर  ।
                        शरद कोकास