मंगलवार, अप्रैल 12, 2011

चैत्र नवरात्रि कविता उत्सव - अंतिम दिन - दिव्या माथुर की कविता

            चैत्र नवरात्रि के इस कविता उत्सव में हमेशा की तरह आप सभी पाठकों का सहयोग मिला । मैं और सिद्धेश्वर सिंह आप सभी के आभारी हैं ।
           आज अंतिम दिन प्रस्तुत कर रहे हैं दिव्या माथुर की यह कविता जो हमे उपलब्ध करवाई है आप सभी के सुपरिचित दीपक मशाल ने । इस कविता का मूल अंग्रेज़ी से अनुवाद भी दीपक ने किया है ।

कवयित्री का परिचयब्रिटेन में हिन्दी साहित्य के सबसे महत्वपूर्ण हस्ताक्षरों में से एक दिव्या माथुर जी की शिक्षा दीक्षा दिल्ली में ही हुई । अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स), नई दिल्ली में १५ वर्ष तक चिकित्सा सचिव की तरह अपनी सेवायें उन्होंने  दीं. उनके बारे में यह उल्लेखनीय है कि उन्होंने स्वयं को नेत्रहीनों की मदद के लिए समर्पित कर दिया. संवेदनाओं की कुशल चितेरी कवयित्री एवं कहानीकार दिव्या जी लन्दन में भी नेत्रहीनों को स्वावलंबी बनाने वाली एक संस्था की प्रभारी निदेशक हैं.
अंग्रेज़ी में परास्नातक तथा पत्रकारिता की डिप्लोमाधारी दिव्या जी का हिन्दी और अंग्रेज़ी की कविता तथा कहानी के लेखन पर समान अधिकार है. आप नेत्र विज्ञान के लिए एक संक्षिप्त लिपि की भी जन्मदात्री हैं.
हाल ही में एन आर आई संस्था द्वारा प्रदत्त भारत सम्मान, भारतीय हाई कमीशन द्वारा यू के का सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक सम्मान हरिवंशराय बच्चन अवार्ड एवं भारत में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त लेखन सम्मान दिव्या जी की साहित्यिक उपलब्धियों का सर्वथा उपयुक्त मूल्यांकन करते हैं. इनके अलावा लन्दन की जानी मानी समाजसेवी तथा साहित्यकार दिव्या जी को अंतर्राष्ट्रीय कविता पुस्तकालय द्वारा कविताई में अप्रतिम उपलब्धि अवार्ड भी दिया गया.

अनुवादक का परिचय  युवा कवि एवं कथाकार दीपक मशाल कहानी, लघुकथा और व्यंग्य को भी अपनी मूल विधाओं में शामिल करने की कोशिश में निरंतर प्रयासरत हैं . दीपक विज्ञान के छात्र हैं और कैंसर पर क्वीन'स विश्वविद्यालय, बेलफास्ट(यू के) में शोध-संलग्न हैं ।“  अनुभूतियाँ' शीर्षक  से उनका एक कविता संग्रह २०१० में प्रकाशित है तथा  शीघ्र ही एक लघुकथा और एक कविता-संग्रह आने वाला है.इसके अलावा दीपक मशाल एक चर्चित ब्लॉगर भी है । उनका ब्लॉग “ मसि कागद “ आपने देखा ही होगा । 
 लीजिये आज पढ़िये दिव्या माथुर की यह कविता - 
दिव्या माथुर 


नृत्य

रेत के 
लघु टीले को करने रोशन 
उतरी झिलमिलाती चांदनी

साठ किरणों से निर्मित
उसका लहंगा 
जिसके साथ ही सिली उसकी चोली 
और नीले, लाल 
हरे, पीले जैसे 
अनगिन चमकीले रंगों के हुल्लड़ में
डूबी हुई सी उसकी चुनरी 

दीपक मशाल 
हय्य क्या पतली कमर !
कैसी मिश्री सी आवाज़ !

ज्यों छुआ था उसने ज़मीं को
आकर  करीब 
इस अदा से देखा 
कि नृत्य कर उठा रेत कण-कण ।

कवयित्री - दिव्या माथुर
अनुवादक - दीपक मशाल 

इस बार अर्चना चावजी ने यह बीड़ा उठाया है कि वे नवरात्रि पर्व पर प्रकाशित सभी कविताओं को अपने ब्लॉग पर अपने स्वर में प्रस्तुत करेंगी । हम उनके आभारी हैं । सुनिये  उनके ब्लॉग " मेरे मन की " पर नवरत्रि उत्सव के तीसरे दिन प्रकशित ममांग दाई की कविता । अन्य छह कविताओं को भी समय समय पर आप उनके ब्लॉग में सुन सकेंगे ।  पुन: आप सभी के प्रति आभार के साथ  - शरद कोकास 

सोमवार, अप्रैल 11, 2011

चैत्र नवरात्रि कविता उत्सव 2011 - आठवाँ दिन - अरुंधती सुब्रमण्यम की कविता


नवरात्रि कविता उत्सव 2011 के आठवें दिन आज प्रस्तुत है अरुंधती सुब्रमण्यम की कविताअरुंधती सुब्रह्मण्यम मुंबई में रहती हैं। उनके कविता के दो संग्रह प्रकाशित हैं: On Cleaning Bookshelves  और Where I Live। उनकी गद्य की किताब The Book of Buddha  चर्चित रही है। भारतीय अंग्रेजी प्रेम कविताओं के प्रतिनिधि संग्रह Confronting Love  की वह सह संपादक हैं। हिंदी, तमिल , इतालवी, स्पैनिश जैसी भाषाओं  में उनके रचनाकर्म  का अनुवाद हुआ है। उन्हें 2003 में स्टर्लिंग विश्वविद्यालय की चार्ल्स वालेस फैलोशिप प्राप्त हुई है. वह कई अंतरराष्ट्रीय कविता उत्सवों में प्रतिभाग कर चुकी हैं। अरुंधती इंटरनेशनल पोएट्री वेब की कंट्री एडीटर हैं, मुंबई में कई वर्षों तक 'चौराहा' नाम से इंटरैक्टिव अकला फोरम संचालित कर चुकी हैं तथा  प्रतिष्ठित पत्र- पत्रिकाओं साहित्य, नृत्य जैसे विषयों पर नियमित लिखती हैं।
इस कविता का अनुवाद किया है अनामिका जी ने ।  अनामिका जी  हिन्दी की चर्चित कवयित्री हैं । अंग्रेजी में भी लेखन करती हैं । दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापक हैं । इनकी प्रमुख कृतियाँ हैं  : 'गलत पते की चिट्ठी' , 'बीजाक्षर' , अनुष्टुप' ,'पोस्टएलियट पोएट्री' ,'स्त्रीत्व का मानचित्र' । अनामिका जी भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार, गिरिजाकुमार माथुर पुरस्कार, ऋतुराज सम्मान से विभूषित हैं ।
यह कविता कवयित्री तथा अनुवादक का परिचय और अरुन्धती जी की व अनामिका जी की तस्वीरें सिद्धेश्वर सिंह  ने उपलब्ध करवाई है । अनामिका जी द्वारा सम्पादित कवयित्रियों के कविता संग्रह " कहती हैं औरतें " से यह कविता साभार । 

अरुन्धती सुब्रमण्यम 
तीस तक
( अरुंधती सुब्रमण्यम की कविता )

तीस तक
मध्यच्छद
मोटा हो जाता है
आपको दिलाता हुआ याद
उन शिशुओं की
जिनको आकार दे ही नहीं पायीं आप!
अनामिका 
'सतोरी' टाली हुई योजना है!
तीस तक
सुबह-सुबह बाथरूम जाते हुए
आने ही लगती है आपको
बास मौत की!
आपको पता होता है-
थोड़ा -सा इंतजार और-
सब के सब बह जाएगें घूर्णावर्तों में-
सुगंधकातर, छालीदार,प्रेमिल खुसुर-फ़ुसुर,
कल रात की आत्मीय अतर,
अल्स्सुबह का वह विश्वास सरल!

तीस तक
संकल्प लेती हैं आप
कि आप रेक्जाविक एयर पोर्ट की
ड्यूटी फ़्री दूकान में
नहीं करेंगी खरीदारी।
फ़िल्म-इतिहास का कोर्स स्थगित
करती हैं अगले जनम तक।
पिघले हुए गुड़ के लिए आयोजित कामना
फ़िर से लगी है जोर मारने-
यह भी आता है ध्यान में!

तीस तक
मित्रों और प्रेमियों और
स्कूलशिक्षकों के
विश्वासघात पर
थोड़ा-सा मुस्का देती हैं आप!
चालीस तक शायद
सबको ही कर देगीं आप माफ़!

तीस तक
आप जान लेती हैं
कि आप चाहती हैं चलना
खमीरित सपनों के ध्वस्त साम्राज्यों से दूर
-खूब प्रशस्त, मानचित्रों के बाहर के
भूखन्डों तक
जहां कि कदम एक -एक हो कोई
साहसिक-सी यात्रा
और हर कदम अगला
लंगर!      
------
( अनुवाद : अनामिका )   

नवरात्रि कविता उत्सव के दूसरे दिन प्रकाशित  सुकृता पॉल की कविता सुनिये अर्चना चावजी की आवाज़ मे उनके ब्लॉग " मेरे मन की " पर । 

रविवार, अप्रैल 10, 2011

चैत्र नवरात्रि कविता उत्सव 2011 - सातवाँ दिन - कमला दास की कविता


          नवरात्रि कविता उत्सव में आज सातवें दिन प्रस्तुत है प्रसिद्ध लेखिका कमला दास की कवितायें जिनका अनुवाद किया है अशोक कुमार पाण्डेय ने ।
          भारत की मशहूर लेखिका कमला दास ने अंग्रेजी तथा मलयालम दोनो ही भाषाओं में अनेक कविताएँ , कहानियाँ व उपन्यास लिखे हैं । उनकी महत्वपूर्ण कृति उनकी आत्मकथा है जिसका नाम “ माई स्टोरी “  है ।इस महत्वपूर्ण कृति का अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है । उनकी महत्वपूर्ण कृतियाँ है .. द नॉवेल अल्फाबेट ऑफ लस्ट ,समर इन कलकत्ता ,द ओल्ड प्ले हॉउस अंड अदर पोयम्स , दी अन्नामलाई पोयम्स ,आदि ।
             युवा कवि व अनुवादक व ब्लॉगर अशोक कुमार पाण्डेय की अब तक तीन पुस्तकें प्रकाशित है मार्क्स की जीवनी पर एक किताब , एक लेखों का संग्रह  और अभी एक ताज़ातरीन कविता संग्रह “ लगभग अनामन्त्रित “ इसके अलावा देश भर की साहित्यिक पत्रिकाओं में उनके लेख व कवितायें प्रकाशित होती हैं । उनके युवा दखल , असुविधा और जनपक्ष  ब्लॉग तो आपने देखे ही होंगे । अशोक कुमार पाण्डेय वर्तमान में ग्वालियर में हैं और पिछले दिनों कविता पर एक महत्वपूर्ण आयोजन “ कविता समय “ उन्होंने संपन्न किया है ।
            लीजिये पढ़िये कमला दास की यह कवितायें । मूल अंग्रेज़ी कविताएँ आप देख सकते हैं ARJUNPURI'S BLOG में ।

 कीड़े

सांझ ढले, नदी के तट पर
कृष्ण ने आख़िरी बार उसे प्रेम किया
और चले गये फिर उसे छोड़कर
उस रात अपने पति की बाहों में
ऐसी निष्चेष्ट पड़ी थी राधा

कि जब उसने पूछा
क्या परेशानी है?
क्या बुरा लग रहा है तुम्हें मेरा चूमना, मेरा प्रेम
तो उसने कहा
नहींबिल्कुल नहीं

लेकिन सोचा
क्या फर्क पड़ता है किसी लाश को
किसी कीड़े के काटने से!




प्रेम

जब तक नहीं मिले थे तुम
मैने कवितायें लिखीं, चित्र बनाये
घूमने गयी दोस्तों के साथ

अब जबकि प्यार करती हूँ मैं तुम्हें
बूढ़ी कुतिया की तरह गुड़ीमुड़ी सी पड़ी है
तुम्हारे भीतर मेरी ज़िंदगी
शांत


 
बारिश

अपने प्यारे कुत्ते की मौत और उसकी अंत्येष्टि के बाद
हमने छोड़ दिया वह पुराना बेकार सा घर
दो बार खिल चुके गुलाब के पौधे को उखाड़ दिया जड़ों से
और किताबें, कपड़े तथा कुर्सियाँ लादे
तुरत निकल आये वहाँ से

अब हम एक नये घर में रहते हैं
छतें नहीं टपकती यहाँ
लेकिन जब बारिश होती है
मैं सुनती हूँ बूँदों की आवाज़
और देखती हूं वह पुराना चूता हुआ ख़ाली घर
जहाँ मेरा प्यारा कुत्ता सोया हुआ है अकेला

मूल कविता कमला दास
अनुवाद - अशोक कुमार पाण्डेय 

यह हर्ष का विषय है कि सुश्री अर्चना चावजी अपने ब्लॉग पर इस नवरात्रि कविता उत्सव में प्रकाशित कविताओं का पाठ कर रही हैं । उनके हम बहुत आभारी है । यह पाठ आप उनके ब्लॉग " मेरे मन की " पर सुन सकते हैं । - शरद कोकास 

शनिवार, अप्रैल 09, 2011

चैत्र नवरात्रि कविता उत्सव 2011 - छठवाँ दिन - अंजुम हसन की कविता

            इस चैत्र नवरात्र कविता उत्सव में आप सभी पाठकों का स्वागत है । आज छठवें दिन हम प्रस्तुत कर रहे हैं बंगलोर की कवयित्री अंजुम हसन की एक कविता जो हमने पत्रिका " प्रतिलिपि " से साभार ली है ।
            कवयित्री का परिचयकवयित्री अंजुम हसन बंगलुरू  में रहती हैं। उनका एक उपन्यास है Lunatic in my Head  जो पेंगुइन - ज़ुबान प्रकाशन से  २००७ में प्रकाशित हुआ है और कविताओं की एक किताब Poems – Street on the Hill  साहित्य अकादेमी से  २००६ में प्रकाशित हुई है। 'ल्युनैटिक इन माइ हेड'  प्रतिष्ठित क्रासवर्ड  फ़िक्शन अवार्ड के भी नामित हुआ था।  इनका महत्वपूर्ण  काम प्रमुख  प्रतिनिधि संग्रहों  एवं चयनिकाओं ,जैसे  Language for a New Century: Contemporary Poetry from the Middle East, Asia, & Beyond  और  Reasons for Belonging: Fourteen Contemporary Indian Poets के अंतर्गत शामिल किया गया है।  उन्होंने  The Hindu Literary Review, Outlook Traveller, Indian Review of Books  और Little Magazine जैसे मंचों  पर भी अपनी  उल्लेखनीय साहित्यिक उपस्थिति दर्ज कराई है।
            अनुवादक का परिचय :इस कविता का अनुवाद किया है प्रसिद्ध कवयित्री व अनुवादक तेजी ग्रोवर ने   - प्रसिद्ध कवयित्री और अनुवादक तेजी ग्रोवर की प्रसिद्ध कृतियाँ  “यहाँ कुछ अन्धेरी और तीखी है नदी  “ , “जैसे परम्परा को सजाते हुए “ , और “  लो कहा साम्बरी “ .सहित उनके पाँच कविता संग्रह व एक उपन्यास प्रकाशित है । तेजी ग्रोवर ने स्कैंडेनेविया की अनेक क्लासीकीय कृतियों का अनुवाद किया है ।उन्हे भारत भूषण स्मृति पुरस्कार , रज़ा फाउंडेशन फेलोशिप प्राप्त हुई है तथा वे 1995 से 1997 तक  प्रेमचन्द पीठ उज्जैन की अध्यक्ष रह चुकी हैं ।
             प्रस्तुत है यह कविता - 




अंजुम हसन 

अपनी माँ के कपड़ों में


मेरी बगलों का पसीना
सहमकर उसके ब्लाऊज को भिगोता है -
शर्मीले, सीले फूल मेरे पसीने के उसके ब्लाऊज पर।

मैं पहनती हूँ उसके प्यास-नीले और जंगल-हरे
और जले-संतरे के रंगों को जैसे वे मेरे हों:
मेरी माँ के रंग मेरी त्वचा पर एक धूल भरे शहर में

मैं उसके कपड़ों में चलती फिरती हूँ
मन ही मन हंसते हुए, इस बोझ से मुक्त
कि आप जो पहनते हैं, वही आप हो जाते हैं:
अपनी माँ के कपड़ों में न तो मैं ख़ुद हूँ न माँ हूँ

तेजी ग्रोवर 
लेकिन कुछ-कुछ उस छह साल की लम्छड सी हूँ
जो अपनी उंगलियों पर माँ की सोने की अंगूठियाँ
चढा लेती है, बड़ा सा कार्डिगन पहन लेती है -
धूप और दूध की गंध से भरा -
और प्यार में ऊंघती फिरती है, कमरों में
जिनके पर्दे जून की शहद भरी रोशनी
के खिलाफ खींच दिये गये हैं

कविता : अंजुम हसन
अनुवाद : तेजी ग्रोवर 


( कल पढ़िये कमला दास की कवितायें जिनका अनुवाद किया है अशोक कुमार पाण्डेय ने )