tag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post8718586395746480078..comments2023-10-29T18:17:34.870+05:30Comments on शको कोश : हम तो कविताओं के ब्लॉग की ओर झांकते भी नहीं..शरद कोकासhttp://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comBlogger39125tag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-36839301677302995462010-10-25T13:43:20.545+05:302010-10-25T13:43:20.545+05:30kabita bahot accha laga par apne sukh ko purush bh...kabita bahot accha laga par apne sukh ko purush bhi nazar andaz karta hai.goutam roynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-32044230160807380292009-10-05T00:28:43.560+05:302009-10-05T00:28:43.560+05:30aapki rachana naari man ke sthiti ko bahut sundar ...aapki rachana naari man ke sthiti ko bahut sundar dhang se ujagar karati aai jo jimmedariyon me uljhi apne shauk ko nazar andaz karti rahti hai .umda .dukhti rag par haath rakh diya ho jaise ......ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-33138914719703074552009-10-01T00:43:50.748+05:302009-10-01T00:43:50.748+05:30SHARAD BHAIYA AAPKI APNI KAVITA KA BHI INTAJAR HAI...SHARAD BHAIYA AAPKI APNI KAVITA KA BHI INTAJAR HAI.......<br />SATYASatya Vyashttps://www.blogger.com/profile/13617417566524777577noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-82522583192519499792009-09-29T15:09:55.340+05:302009-09-29T15:09:55.340+05:30bahut khoob kaha.....sangat ka asar kuch aisa ...k...bahut khoob kaha.....sangat ka asar kuch aisa ...ki adrakh bhi kavita ho jaye...wahAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-19930843386465273082009-09-28T13:24:50.239+05:302009-09-28T13:24:50.239+05:30मेरी कविता अमर रचनायें जो हिन्दयुग्म दुआरा पुरुसकृ...मेरी कविता अमर रचनायें जो हिन्दयुग्म दुआरा पुरुसकृत हो चुकी है उस के जैसी है ये रचना या कुछ शब्दनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-71708933253419023992009-09-27T17:39:20.379+05:302009-09-27T17:39:20.379+05:30प्रिय शरद भाई ,
यह संवेदनशील संसार को रचने सा है !...प्रिय शरद भाई ,<br />यह संवेदनशील संसार को रचने सा है ! बेहद जिम्मेदाराना सृजनकर्म ! <br />पर ....पर दिक्कत यह है की बहुतेरे वानर उस्तरा लेकर कविता का दुर्भाग्य बन गए हैं !<br />उम्मीद है की आप मेरा मंतव्य समझ गए होंगे !<br />सस्नेह !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-45608332578050157042009-09-27T16:07:14.996+05:302009-09-27T16:07:14.996+05:30इन कविताओं में कुछ नया ही स्वाद मिला
अच्छा ही नह...इन कविताओं में कुछ नया ही स्वाद मिला<br />अच्छा ही नहीं, बेहतरीन लिखा है<br />जीवन से जुड़ी कविताएं <br />क्या बताएं<br />लंबी भली नहीं थीं<br />कि कुछ देर पढ़ पाते<br />धन्यवाद <br />अच्छे लेखन के लिएपी के शर्माhttps://www.blogger.com/profile/02419277158229138144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-65026085766315712282009-09-27T14:37:42.881+05:302009-09-27T14:37:42.881+05:30बहुत खूब...चंद लाइनों में बेहतरीन शब्द पिरोया आपने...बहुत खूब...चंद लाइनों में बेहतरीन शब्द पिरोया आपने..बधाई..विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-35239937729392416572009-09-27T13:35:04.208+05:302009-09-27T13:35:04.208+05:30रसोई और कविता का मेल जोल सच अद्भुत है...मीता जी को...रसोई और कविता का मेल जोल सच अद्भुत है...मीता जी को इस बेहतरीन कविता के लिए बधाई..Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-79522160944438089192009-09-27T12:40:41.387+05:302009-09-27T12:40:41.387+05:30सबसे पहले तो ...अनुराग जी की बात का दिल से समर्थन ...सबसे पहले तो ...अनुराग जी की बात का दिल से समर्थन करती हूँ ,मिता दास के शब्द और उनके दिल की हलचल बड़े- बड़े कवियों को पीछे छोड़ गई है इस कविता में .. उन्हें बधाई ...एक कविता ..अजामिल जी की मैंने ८ मार्च को ब्लॉग पर लिखी थी ...उसकी एक पंक्ति ,..सिलबत्तों पर ख़ुशी-ख़ुशी पोदीना प्याज सी पिस जाती है औरतें .विधुल्लताhttps://www.blogger.com/profile/15471222374451773587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-11314259974604129272009-09-27T12:17:49.156+05:302009-09-27T12:17:49.156+05:30कितनी ही रचनायें
नमक दानी के सिरहाने
दम तोड़ देत...कितनी ही रचनायें <br />नमक दानी के सिरहाने <br />दम तोड़ देती हैं<br />रसोई में....<br /><br />कमाल की रचना है ........... रोजमर्रा के शब्दों से निकली जीवंत रचना .........दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-72365187630460710552009-09-27T12:00:48.203+05:302009-09-27T12:00:48.203+05:30मुझे कविता की बहुत ज्यादा समझ नही है लेकिन मैं उन्...मुझे कविता की बहुत ज्यादा समझ नही है लेकिन मैं उन्हे पढने से परहेज़ नही करता।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-83178535439229145572009-09-27T11:49:52.856+05:302009-09-27T11:49:52.856+05:30har aurat mein kahin na kahin ek kaviyitri chupi h...har aurat mein kahin na kahin ek kaviyitri chupi hoti hai bas use bahar nikal nhi pati hai ya kaho zindagi use bahar nikalne ka muka nhi de pati.........dhanya hain mita ji jinhone aurton ki us vyatha ko itni gahrayi se samjha aur shabdon mein bandh diya. ek behtreen abhivyakti hai. ek satya ko ujagar kar diya .........kai baar aisa hota hai jis satya ko aapne kavita mein parosa hai.jitni tarif ki jaye kam hai.<br /><br />http://vandana-zindagi.blogspot.com<br />http://redrose-vandana.blogspot.com<br />http://ekprayas-vandana.blogspot.comvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-91278888784289549182009-09-27T09:16:39.578+05:302009-09-27T09:16:39.578+05:30कविता लिखना कोई मामूली काम नहीं...लेकिन अच्छी लिखी...कविता लिखना कोई मामूली काम नहीं...लेकिन अच्छी लिखी हुई कविता पढ़कर मन प्रसन्न हो जाता है...बहुत अच्छी लगी पढ़करअनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-86365460928981437482009-09-27T08:02:30.922+05:302009-09-27T08:02:30.922+05:30आओ के एक ख्वाब बुनें ,
जहां भूल आये थे हम
उन फूलों...आओ के एक ख्वाब बुनें ,<br />जहां भूल आये थे हम<br />उन फूलों को चुनकर ,<br />फिर कोइ रात चुनें<br />कविता ,<br />बहुत अच्छी लगीब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-26430908999203805512009-09-27T07:15:24.658+05:302009-09-27T07:15:24.658+05:30कविता गढ़ते गढ़ते
खुद कविता हो गई
एक यथार्थकविता गढ़ते गढ़ते <br />खुद कविता हो गई<br /><br />एक यथार्थलोकेश Lokeshhttps://www.blogger.com/profile/12218007406634430572noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-51165062175223355012009-09-27T05:18:56.384+05:302009-09-27T05:18:56.384+05:30@nishantji
मुझे किसी ब्लोगर का नाम सार्वजानिक करने...@nishantji<br />मुझे किसी ब्लोगर का नाम सार्वजानिक करने में कोई रूचि नहीं है <br />बात पहुँच गयी..और आगे पहुँच जाए..इतना ही काफी है..!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-66209588792550990232009-09-27T05:16:56.596+05:302009-09-27T05:16:56.596+05:30स्त्री की गृहस्थी और उसमे रची मसलों की खुशबू को अप...स्त्री की गृहस्थी और उसमे रची मसलों की खुशबू को अपने ब्लॉग पर पढने का अवसर दिया ...बहुत आभार ..!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-52315192900639337192009-09-27T03:38:54.244+05:302009-09-27T03:38:54.244+05:30मिता जी की कविता ,
बहुत अच्छी लगी -
"...मिता जी की कविता , <br /> बहुत अच्छी लगी -<br /><br /><br />"आओ के एक ख्वाब बुनें ,<br /> जहां भूल आये थे हम<br /> उन फूलों को चुनकर ,<br /> फिर कोइ रात चुनें <br />आओ के हम <br />कोइ ख्वाब बुने " <br /> <br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-11628768258274843152009-09-27T02:24:32.097+05:302009-09-27T02:24:32.097+05:30" bahut hi khub kaha hai aapne .aapko is shan..." bahut hi khub kaha hai aapne .aapko is shandar rachana ke liye badhai "<br /><br />----- eksacchai { AAWAZ }<br /><br /> http://eksacchai.blogspot.com<br /><br /> http://hindimasti4u.blogspot.comSACCHAIhttps://www.blogger.com/profile/04972355488869370687noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-78657880494096736622009-09-27T02:07:47.168+05:302009-09-27T02:07:47.168+05:30एक दिन तो हद हो गई
अदरक का टुकड़ा पीसते पीसते
पीस ...एक दिन तो हद हो गई <br />अदरक का टुकड़ा पीसते पीसते<br />पीस डाले सारे बेहतरीन शब्द <br />और कविता गढ़ते गढ़ते <br />खुद कविता हो गई ।<br /><br />ऐसा ही कई बार अपने साथ भी होता है , कई बेहतरीन ख्याल, पंक्तिया, शब्द-समूह जाने अनजाने मन- मष्तिष्क में कौंध जाते हैं पर यदि उस वक्त लिख कर न रखा तो वे दुबारा ज़हन में आते नहीं और जब आते ही नहीं तो क्या कविता लिखूं, क्या विचार, पर जब टिप्पणियां लिखता हूँ तो कोई समस्या नहीं होती, क्योंकि तब मन-मस्तिष्क के साथ कि बोर्ड भी हाथ में ही रहता है...............<br /><br />बेहतरीन भावों से युक्त किचेन के काम के दबाव तले कसमसाती साहित्यिक प्रतिभावों के घुटन की सचबयानी की अद्भुत मिसाल है यह कविता.<br /><br />हार्दिक आभार<br />चन्द्र मोहन गुप्त<br />जयपुर<br />www.cmgupta.blogspot.comMumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-68525502948448462922009-09-27T00:56:22.846+05:302009-09-27T00:56:22.846+05:30कितनी ही रचनायें
नमक दानी के सिरहाने
दम तोड़ देती ह...कितनी ही रचनायें<br />नमक दानी के सिरहाने<br />दम तोड़ देती हैं<br />रसोई में<br /><br />-औरत की आम जिन्दगी के आपस खोई कविता का पता बताती कविता!! बहुत सुन्दर.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-56835294857002607382009-09-26T23:33:10.564+05:302009-09-26T23:33:10.564+05:30सिर्फ रसोईघर में नारी के साथ ही नहीं , अपितु ये तो...सिर्फ रसोईघर में नारी के साथ ही नहीं , अपितु ये तो देश में अधिकाँश लोगों के साथ होता है. <br />बहुत से अरमान , इच्छाएं और शौक दबे ही रह जाते हैं. लेकिन नारी धन्य है जो रसोई के साथ कविता में भी अपने जोहर दिखाती है.डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-76733277286640436912009-09-26T22:43:02.973+05:302009-09-26T22:43:02.973+05:30"कुछ सम्मानित ब्लोगर्स बहुत अकड़ कर कहते रहे ..."कुछ सम्मानित ब्लोगर्स बहुत अकड़ कर कहते रहे हैं..हम तो कविताओं के ब्लॉग की ओर झांकते भी नहीं.."<br /><br />वैसे यह स्थान इसके लिए उपयुक्त नहीं है लकिन कृपया बताएं किसने ऐसा कहा है. उसके ब्लौग पर विरोध दर्ज किया जायेगा.<br /><br />पिछली टिपण्णी में मिता दास जी की बेहतरीन कविता पढ़वाने के लिए धन्यवाद नहीं दे सका, इसका खेद है. मुझे तो मुक्त छंद ही ज्यादा भाता है. अब कृपया कोई इसका विपरीत अर्थ न निकाल लें.निशांतhttps://www.blogger.com/profile/02025424665372425749noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-2120539752607411272009-09-26T22:36:33.434+05:302009-09-26T22:36:33.434+05:30मैं साहित्य का विद्यार्थी रहा हूँ और नौकरी में आने...मैं साहित्य का विद्यार्थी रहा हूँ और नौकरी में आने से पहले मैंने कविता-कहानी पढ़-पढ़के स्वयं को उसमें इतना डुबो दिया की इस वास्तविकता को भी नज़रंदाज़ करता रहा की मुझे भी कभी नौकरी करनी होगी या बच्चे पालने होंगे. किशोरावस्था में कविताई की भी... फिर छूट गई. कॉलेज में तो कालिदास से लेकर मिल्टन तक सब पढ़ा.<br /><br />सब समय और मूड की बात है, ये वक़्त ऐसा चल रहा है जिसमें कविता लिखना-पढना रूझता-सूझता नहीं है.<br /><br />कुछ लोग ज्योतिष के ब्लौग की और, कुछ विज्ञान के, कुछ पत्रकारिता के, कुछ राजनीति के, कुछ हास्य-व्यंग्य के ब्लौग की और नहीं झांकते. सबकी अपनी-अपनी पसंद है. ज्यादातर लोग रोज़मर्रा की उधेड़बुन में लगे हैं, ऐसे में किसी-किसी की कविता पर दृष्टि या रुचि कम होना कोई हैरत तो नहीं?<br /><br />कालजयी तो विरले ही लिखते हैं, कभी-कभी किसी-किसी की पंक्तियाँ ह्रदय में गहरे तक उतर आती हैं, उनपर टिपण्णी करने से हम खुद को रोक नहीं पाते. <br /><br />मुझे हिमांशु पाण्डेय की कवितायेँ अत्यंत प्रिय हैं. उन जैसी कवितायेँ कोई और ब्लौगर लिखता है क्या? इसका अर्थ यह नहीं की बाकी लोग बेकार या औसत लिखते हैं, बल्कि यह है की कविता भी इतने तरह की है की हर आदमी हर कविता पसंद नहीं करेगा/करता. <br /><br />इस विषय पर अच्छे पोस्ट लिखने के लिए आभार.निशांतhttps://www.blogger.com/profile/02025424665372425749noreply@blogger.com