tag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post8437444795803652006..comments2023-10-29T18:17:34.870+05:30Comments on शको कोश : सिर्फ इक्कीस बरस का जीवन जिसने जिया ..शरद कोकासhttp://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-49023561804226986592010-05-17T22:39:26.133+05:302010-05-17T22:39:26.133+05:30eu tão serei!eu tão serei!Sr. jonathanhttps://www.blogger.com/profile/01977104586462180658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-44536329407663817982010-04-02T19:41:26.052+05:302010-04-02T19:41:26.052+05:30होने का अर्थ तो वक्त ही बताता है।
कितनी खूबसूरती स...होने का अर्थ तो वक्त ही बताता है।<br />कितनी खूबसूरती से सहेजा गया है ग्राज़्यना क्रोस्तोवस्का के होने का अर्थ!<br />..आभार।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-19880840561938810222010-03-29T16:54:41.869+05:302010-03-29T16:54:41.869+05:30सुंदर!<b>सुंदर!</b>रावेंद्रकुमार रविhttps://www.blogger.com/profile/15333328856904291371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-60818041420644200282010-03-29T16:43:32.833+05:302010-03-29T16:43:32.833+05:30सुंदर!<b>सुंदर!</b>रावेंद्रकुमार रविhttps://www.blogger.com/profile/15333328856904291371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-47372413014261849212010-03-24T21:09:48.386+05:302010-03-24T21:09:48.386+05:30यह निराशा ही है। चरम यथार्थ।यह निराशा ही है। चरम यथार्थ।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-79060232600446277102010-03-24T20:25:24.986+05:302010-03-24T20:25:24.986+05:30नायाब प्रस्तुति!
सुन्दर भावों से सजी रचना का बढ़िय...नायाब प्रस्तुति!<br />सुन्दर भावों से सजी रचना का बढ़िया अनुवाद!<br />राम-नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-88287974020432700952010-03-24T20:24:19.151+05:302010-03-24T20:24:19.151+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-6767611194923148922010-03-24T19:03:56.026+05:302010-03-24T19:03:56.026+05:30bahut khoob.. sanyog dekhiye ki ye kavita aapne 23...bahut khoob.. sanyog dekhiye ki ye kavita aapne 23rd march ko preshit ki...Ambarishhttps://www.blogger.com/profile/10523604043159745100noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-42788746838774083752010-03-24T18:36:54.231+05:302010-03-24T18:36:54.231+05:30शरद जी
बहुत ही नेक और साहित्यिक प्रयास है यह........शरद जी <br />बहुत ही नेक और साहित्यिक प्रयास है यह.......दुनिया की बेहतरीन रचनाओं को चुन कर हम तक परोसने के लिए हार्दिक धन्यवाद......!Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-85222851058193146822010-03-23T20:45:34.348+05:302010-03-23T20:45:34.348+05:30कभी कभी जिंदगी कम उम्र में भी ऐसे अनुभव कर...कभी कभी जिंदगी कम उम्र में भी ऐसे अनुभव करा देती है जिसको सौ जन्म में आप न पा सके, बहुत संवेदनशील रचना और जितनी सुंदर रचना उतना हृदयस्पर्शी अनुवाद. <br />शरद जी सुन्दर रसास्वादन जो आपने व्रत के दौरान कराया है क्या यह सिलसिला अनवरत नहीं चल सकता. हम सभी अब इस इंतज़ार में ही रहते हैं कल क्या पढ़ने को मिलेगा.<br />सचमुच लाजवाव.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-28097062250713238842010-03-23T20:38:24.392+05:302010-03-23T20:38:24.392+05:30घोर नैराश्य को भी इतने जीवंत शब्दों में व्यक्त करन...घोर नैराश्य को भी इतने जीवंत शब्दों में व्यक्त करना....जैसे हम सब महसूस कर पा रहें हों ..वो सन्नाटा,अजनबियत,सूनापन और निराशा....अपने होने का कोई अर्थ नहीं...फिर भी कहती हैं...<br />सुनो , बावजूद इसके<br />आजाद जंगलों में अंकुरित होते हैं नए - नन्हें वृक्ष ।rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-22670196218698799192010-03-23T19:38:39.316+05:302010-03-23T19:38:39.316+05:30शरद भाई .... आप की बदौलत इतनी अच्छी कवितायें पढने ...शरद भाई .... आप की बदौलत इतनी अच्छी कवितायें पढने को मिल रही हैं .... शुक्रिया अभी नहीं ..., अभी सिलसिला जारी रहे ...अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-13117827174397648472010-03-23T17:33:08.501+05:302010-03-23T17:33:08.501+05:30मैं खोती जा रही हूँ अनुभव अपने अस्तित्व का
कुछ नही...मैं खोती जा रही हूँ अनुभव अपने अस्तित्व का<br />कुछ नहीं देख पा रही हूँ<br />बहुत गहरी वेदना को महसूस किया है और अपने जीवन के सिर्फ २१वे वसंत में ही अपने अस्तित्व से मुक्त होने का सामान इकठा कर दुनिया के सामने रख दिया है |<br />गहन अनुभूतियो से भरी प्राणवान कविता |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-62180379556501191302010-03-23T16:39:51.583+05:302010-03-23T16:39:51.583+05:30अद्भुत ,अद्वितीय कविता.अद्भुत ,अद्वितीय कविता.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-7491930503793224612010-03-23T15:43:09.760+05:302010-03-23T15:43:09.760+05:30कि हम यहाँ आये थे ...कोई अर्थ नहीं था हमारे होने क...कि हम यहाँ आये थे ...कोई अर्थ नहीं था हमारे होने का ....<br />इतनी निराशा ....<br />बावजूद इसके कि<br />आजाद जंगलों में अंकुरित होते हैं नन्हे वृक्ष ...<br /><br />युद्ध की विभीषिकाएँ सभी जगह एक सी होती है ...सिर्फ युद्ध ही नहीं नव निर्माण की भी ...<br />बदलते युग की प्रसव पीड़ा स्त्रियाँ ज्यादा संजीदगी से अनुभव करती हैं ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-56206975315218219852010-03-23T15:10:30.214+05:302010-03-23T15:10:30.214+05:30कोई अर्थ नहीं नहीं था हमारे होने का।
कुछ कर जाओ ...कोई अर्थ नहीं नहीं था हमारे होने का। <br /><br />कुछ कर जाओ दोस्तो। कहीं अंत समय कहना न पड़ जाए।Kulwant Happyhttps://www.blogger.com/profile/04322255840764168300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-74490705087083469992010-03-23T12:40:44.464+05:302010-03-23T12:40:44.464+05:30एक 21 वर्षीया कवयित्री के विचार उन हालातों को ब्य...एक 21 वर्षीया कवयित्री के विचार उन हालातों को ब्यां करते हैं जो कवयित्री ने महसूस किए परंतु उस महसूसन को शब्दों और भावों के जिस निराले रंग में ढाला, वो उनके भविष्य की बेहतर संभावनाओं को दर्शाते हैं परंतु नियति को कुछ और ही मंजूर था। सबके जीने के बावजूद इस जीने की प्रत्येक सीढ़ी की नेक अनेकता अपनी ओर विमर्श के लिए खींचती है। इस पर आरंभ से विमर्श जारी है और अंत तक जारी ही रहेगा। मेरा ऐसा मानना है।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-14548831181092498612010-03-23T12:40:19.747+05:302010-03-23T12:40:19.747+05:30पहले की तरह ही अद्भुत रचना....बहुत सुकून मिलता है...पहले की तरह ही अद्भुत रचना....बहुत सुकून मिलता है....आपके पोस्ट से......<br />.......<br />.........<br />विश्व जल दिवस....नंगा नहायेगा क्या...और निचोड़ेगा क्या ?<br />लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से....<br />http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_22.htmlकृष्ण मुरारी प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/00230450232864627081noreply@blogger.com