tag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post7620259334896078559..comments2023-10-29T18:17:34.870+05:30Comments on शको कोश : नवरात्र कविता उत्सव - पाँचवा दिन - मैथिली कवयित्री शेफालिका वर्माशरद कोकासhttp://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comBlogger39125tag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-81840020596537565562010-10-18T04:04:43.000+05:302010-10-18T04:04:43.000+05:30अपने लिये जीना गलत नही है पर साथ में औरों के दुख ह...अपने लिये जीना गलत नही है पर साथ में औरों के दुख हलके करना भी शामिल हो तो जिंदगी सार्थ लगती है । शेफाली जी की कविता बहुत अच्छी लगी ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-6671760300729637172010-10-15T22:24:21.519+05:302010-10-15T22:24:21.519+05:30bahut sunder bhav aur sandesh......
aapka ye kadam...bahut sunder bhav aur sandesh......<br />aapka ye kadam sarahneey hai........<br /><br />Aabhar .<br /><br /><br />aaj hee maine translated rachanae bhee padee.<br /><br />aapka tahe dil se shukriya .........Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-18038761012141861622010-10-14T17:43:47.068+05:302010-10-14T17:43:47.068+05:30तुमसे अलग हो आज यह अनुभूति हुई
साँस लेना ही ज़िन्द...तुमसे अलग हो आज यह अनुभूति हुई<br />साँस लेना ही ज़िन्दगी नहीं<br /><br /><br />अच्छी कविता !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-80390892057565742322010-10-14T04:59:01.284+05:302010-10-14T04:59:01.284+05:30सार्थकता उद्देश्य नहीं
जीवन की प्रक्रिया है
सुन्द...सार्थकता उद्देश्य नहीं <br />जीवन की प्रक्रिया है<br />सुन्दर रचना ... शेफालिका वर्मा से परिचय का आभारM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-30053707646035350462010-10-13T23:22:05.774+05:302010-10-13T23:22:05.774+05:30bahot hi sunder likhi hain aap.bahot hi sunder likhi hain aap.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-37322073333717986062010-10-13T22:41:32.224+05:302010-10-13T22:41:32.224+05:30पिछली कवितायेँ भी आज ही पढ़ पाई हूँ
सुश्री पद्मा ...पिछली कवितायेँ भी आज ही पढ़ पाई हूँ <br />सुश्री पद्मा सचदेव , वरिगोंड सत्य सुरेखा,निर्मल प्रभा बोरदोलोई ,ज्योती लांजेवार ,शेफालिका वर्मा<br />सभी रचनाकारों की ये अनुपम कृतिया है जिन्हें पढ़ना बहुत ही अच्छा लगा. साहित्यकरों के ये अनमोल तोहफे हम सभी तक पंहुचा कर इन सभी से परिचय कराने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .<br />आज की रचना भी बहुत ही सुन्दर है ,बहुत सार्थक सन्देश देती है .....आपके इस नायाब जतन के लिए और क्या कहूँ !! जितना कहा जाए कम है .....बहुत बहुत आभार .रानीविशालhttps://www.blogger.com/profile/15749142711338297531noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-46551233540215985822010-10-13T18:16:13.028+05:302010-10-13T18:16:13.028+05:30saans lena hi jindagi nahi..bahut sundar kavita......saans lena hi jindagi nahi..bahut sundar kavita...jiwan ki sarthaktaa par adbhut kavita maitheli kavi shaifaliki ji ki...Dhanyvaad aapka is sundar kavita ko ham tak pahuchaya ..डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-64425831785514940222010-10-13T16:28:25.568+05:302010-10-13T16:28:25.568+05:30मिथिला की भूमि की खुशबू आ रही है इस अनुदित कविता म...मिथिला की भूमि की खुशबू आ रही है इस अनुदित कविता में भी.. सुन्दर और सार्थक कविता..अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-57767230935480566842010-10-13T07:09:23.728+05:302010-10-13T07:09:23.728+05:30जीवन की सार्थकता पर सार्थक प्रस्तुति ,आभार ।जीवन की सार्थकता पर सार्थक प्रस्तुति ,आभार ।अजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-27285663322018374612010-10-13T06:08:59.467+05:302010-10-13T06:08:59.467+05:30जीने के लिए ऐर्फ सांस लेना ही काफी नहीं...
उम्दा ...जीने के लिए ऐर्फ सांस लेना ही काफी नहीं...<br /><br />उम्दा रचना.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-54221231310432411982010-10-12T22:58:53.199+05:302010-10-12T22:58:53.199+05:30बहुत सुन्दर कविता।बहुत सुन्दर कविता।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-7967861991670219892010-10-12T22:42:57.864+05:302010-10-12T22:42:57.864+05:30शेफालिका जी की सार्थकता की परिभाषा पढ़कर बरबस ही ए...शेफालिका जी की सार्थकता की परिभाषा पढ़कर बरबस ही एक पुराना गीत याद आ गया-अपने लिए जिए तो क्या जिए, तू जी ऐ दिल जमाने के लिए।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-30416701752487447512010-10-12T21:11:46.061+05:302010-10-12T21:11:46.061+05:30कविता क्या , यह तो ज्ञान का भंडार है । उम्दा प्रस्...कविता क्या , यह तो ज्ञान का भंडार है । उम्दा प्रस्तुति ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-16611812214566343982010-10-12T20:56:54.686+05:302010-10-12T20:56:54.686+05:30अपने कर्तव्य में
अपने को सार्थक करने में
सबों के...अपने कर्तव्य में <br />अपने को सार्थक करने में <br />सबों के जीवन को <br />वह अडिग अटल है<br />प्रतिपल प्रतिक्षण ।<br /> लाजवाब रचना अच्छी अभिव्यक्तिरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-43531645691007691882010-10-12T20:20:40.291+05:302010-10-12T20:20:40.291+05:30अपने लिए तो सभी जीते हैं
पर तुम जिओ
उस सूरज की तरह...अपने लिए तो सभी जीते हैं<br />पर तुम जिओ<br />उस सूरज की तरह<br />जो कभी अस्त नहीं होता<br />धरती के इस छोर से उस छोर तक<br />परिक्रमा करता रहता है<br />सबों को रोशनी बाँटता है...<br />क्या बात है...वाह...<br />नायाब रचनाएं पढने को मिल रही हैंशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-91144244727420568002010-10-12T19:46:27.688+05:302010-10-12T19:46:27.688+05:30..सार्थकता उद्देश्य नहीं
जीवन की प्रक्रिया है..
.......सार्थकता उद्देश्य नहीं<br />जीवन की प्रक्रिया है..<br />.. सुंदर दर्शन।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-69719511630173929872010-10-12T19:03:16.128+05:302010-10-12T19:03:16.128+05:305/10
सुन्दर सशक्त5/10<br /><br />सुन्दर सशक्तउस्ताद जीhttps://www.blogger.com/profile/03230688096212551393noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-54490003914583746462010-10-12T18:47:41.829+05:302010-10-12T18:47:41.829+05:30अपने लिए तो सभी जीते हैं
पर तुम जिओ
उस सूरज की तरह...अपने लिए तो सभी जीते हैं<br />पर तुम जिओ<br />उस सूरज की तरह<br />जो कभी अस्त नहीं होता<br />धरती के इस छोर से उस छोर तक<br />परिक्रमा करता रहता है<br />सबों को रोशनी बाँटता है ....<br /><br />सुन्दर सन्देश देती खूबसूरत पंक्तियाँ । शेफालिका जी से परिचय के लिए आभार। आपका प्रयास स्तुत्य है शरद जी। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-30162782929549950242010-10-12T18:15:19.678+05:302010-10-12T18:15:19.678+05:30इस कविता को "जीने की कला" ही कहूँगा.
अच...इस कविता को "जीने की कला" ही कहूँगा.<br /><br />अच्छी प्रस्तुति...... साधुवाद.दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-52163521400110045992010-10-12T16:22:38.605+05:302010-10-12T16:22:38.605+05:30शेफालिका जी की रचना में जीवन की सार्थकता दिखती है ...शेफालिका जी की रचना में जीवन की सार्थकता दिखती है .बहुत सुन्दर रचना.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-6850373833408167842010-10-12T16:07:38.093+05:302010-10-12T16:07:38.093+05:30तुमसे अलग हो आज यह अनुभूति हुई
साँस लेना ही ज़िन्द...तुमसे अलग हो आज यह अनुभूति हुई<br />साँस लेना ही ज़िन्दगी नहीं<br />किन्तु<br />जीवन की सार्थकता बनाना<br />महती उद्देश्य होना चाहिये<br />सार्थक ?<br />--<br />शरद कोकास जी!<br />नवरात्रों में मैथिली कवयित्री शेफालिका वर्मा की <br />इस सोद्देश्य रचना को पढवाने के लिए <br />आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-11242097083546240642010-10-12T16:05:23.768+05:302010-10-12T16:05:23.768+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-67015180764919229992010-10-12T15:32:42.247+05:302010-10-12T15:32:42.247+05:30पर तुम जिओ
उस सूरज की तरह
जो कभी अस्त नहीं होता
धर...पर तुम जिओ<br />उस सूरज की तरह<br />जो कभी अस्त नहीं होता<br />धरती के इस छोर से उस छोर तक<br />परिक्रमा करता रहता है<br />सबों को रोशनी बाँटता है...<br /><br />दूसरों के लिए जीना ही जीने की सार्थकता है ....सच्चा सन्देश देती अच्छी अभिव्यक्तिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-39135809437469900482010-10-12T14:41:13.301+05:302010-10-12T14:41:13.301+05:30bahut sundar rachnaji aur kokasji dono ko badhaibahut sundar rachnaji aur kokasji dono ko badhaiजयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-78537858382794598882010-10-12T14:06:08.936+05:302010-10-12T14:06:08.936+05:30देने में जो सुख है वो लेने में कहाँ ?सूरज, बादल क...देने में जो सुख है वो लेने में कहाँ ?सूरज, बादल के<br />माध्यम से बहुत प्रेरक बात कही है शैफलीजी ने |<br />बहुत सुन्दर भावो से सजी रचना |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.com