tag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post6326295463285751107..comments2023-10-29T18:17:34.870+05:30Comments on शको कोश : “हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्सा माँगेंगेशरद कोकासhttp://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comBlogger45125tag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-50468133614645673152010-06-30T11:31:51.655+05:302010-06-30T11:31:51.655+05:30tumara saman dekha suruchipurn hai meri badhai lee...tumara saman dekha suruchipurn hai meri badhai leeladhar mandloiलीलाधर मंडलोईhttps://www.blogger.com/profile/04919017894338135157noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-83557767354813699942010-05-06T18:21:59.181+05:302010-05-06T18:21:59.181+05:30कल का वो दिन
आज फिर उतर आया है
तुम्हारी आँखों में
...कल का वो दिन<br />आज फिर उतर आया है<br />तुम्हारी आँखों में<br />आज भी तुम्हारी आँखें<br />भेड़िये की आँखों सी चमकती हुई<br />कल का खेल<br />खेल रही हैं ।<br />jawab nahi ,shabd nahi ati sundarज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-4075798493524968692010-05-03T16:34:14.777+05:302010-05-03T16:34:14.777+05:30कल का जो दिन बीता
बिगड़ी हुई मशीन सा था....vaah ba...कल का जो दिन बीता<br />बिगड़ी हुई मशीन सा था....vaah bahut khub.arvindhttps://www.blogger.com/profile/15562030349519088493noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-674553318041259642010-05-03T16:24:45.676+05:302010-05-03T16:24:45.676+05:30ओह ! शरद भैया .....साहिर की "रोटी " याद ...ओह ! शरद भैया .....साहिर की "रोटी " याद आ गयी..<br /><br /> सत्य....<br /> कुछ और कहने की स्थिती मे नहीँ हूँ . ग्रिहस्त जीवन मे व्यस्त था. देर से आने के लिये माफी..<br /> सत्यSatya Vyashttps://www.blogger.com/profile/13617417566524777577noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-83668365938169716792010-05-03T12:32:03.858+05:302010-05-03T12:32:03.858+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शीबहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शीरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-7806318527535779892010-05-02T23:24:35.558+05:302010-05-02T23:24:35.558+05:30@राजेश भाई , सचमुच भूल गया था फैज़ साहब की बहुत इ...@राजेश भाई , सचमुच भूल गया था फैज़ साहब की बहुत इज़्ज़त हम लोग करते हैं । मैने भूल दुरुस्त कर दी है । इस ग़लती की ओर ध्यान दिलाने के लिये धन्यवाद ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-9444661790714341222010-05-02T07:32:15.454+05:302010-05-02T07:32:15.454+05:30बिगड़ी हुई मशीन की तरह दिन को ठोंक पीट कर, सुख दुःख...बिगड़ी हुई मशीन की तरह दिन को ठोंक पीट कर, सुख दुःख के गाढ़े रंगो को जीने वाले मजदूर स्त्री पुरुषों कों--मजदूर दिवस एक झुन झना ही तो है ! मगर आप जैसा लेखक उन्हें इतना मान सम्मान दे ! साहित्य का सरोकार वहीं पूरा हो जाता है ! आपके हृदय में स्थित इस सम्मान की भावना कों प्रणाम !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-20753136912965554752010-05-02T01:36:36.207+05:302010-05-02T01:36:36.207+05:30मजदूर याने श्रमिक, हम कार्यालय मे बैठकर काम करने व...मजदूर याने श्रमिक, हम कार्यालय मे बैठकर काम करने वाले शायद भूल ही जाते हैं। आपकी कविता पढ़कर याद किये। भाई टिप्पणी करना तो सूरज को दिया दिखाने के समान होगा। बस लोग सभी जगह "नाईस" लिख देते हैं। हम "वेरी नाईस" लिख दे रहे हैं। वाकई सुन्दर चित्रण है।सूर्यकान्त गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/05578755806551691839noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-18667429176631075152010-05-01T23:53:44.285+05:302010-05-01T23:53:44.285+05:30'हम मेहनतकश जग वालों से' पंक्तियां फैज अहम...'हम मेहनतकश जग वालों से' पंक्तियां फैज अहमद फैज की हैं। यह तो आप बेहतर जानते ही होंगे। मजदूर दिवस पर कविता की मजदूरी करने वाले कवि से उसका नाम तो न छीनें। शरद भाई आपने अपनी इस पोस्ट में उन्हें एक कवि कहकर छोड़ दिया।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-28647768336830214932010-05-01T23:44:54.668+05:302010-05-01T23:44:54.668+05:30जलजला आपके जज्बे को सलाम करता है। ये सेठ-व्यापारी,...जलजला आपके जज्बे को सलाम करता है। ये सेठ-व्यापारी, रजवाड़े दस लाख तो हम दस लाख करोड़.. ये कितने दिन अमरीका से जीने का सहारा मांगेंगे। हम मेहनतकश जब इस दुनिया से जब अपना हिस्सा मांगेंगे.. बहुत खूब कोकाश साहब। आपके ब्लाग पर आकर धन्य हो गया।Kumar Jaljalahttps://www.blogger.com/profile/17272554213360157887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-55551461479523953302010-05-01T23:12:21.679+05:302010-05-01T23:12:21.679+05:30आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद ।
@दर्शनलाल जी -मजदूर ...आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद ।<br />@दर्शनलाल जी -मजदूर की माँ उससे यह इसलिये कहती है कि वह जानती है ..कल कुआँ खोदेंगे तभी पानी मिलेगा । हमारी तरह आनेवाली पीढ़ीयों के लिये धनसंचय के बारे में तो वह सोच भी नहीं सकती ।<br />@डॉ.दराल- पढना-लिखना कम तो नहीं हुआ है । लेखन के ही काम मे लगाअ हूँ ..इधर कविता संग्रह की तैयारी भी चल रही है । वैसे आपका संकेत मैं समझ गया हूँ । वादा करता हूँ कि आगे से आपको कोई शिकायत नहीं होगी । धन्यवाद ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-84161541251791559932010-05-01T22:21:12.471+05:302010-05-01T22:21:12.471+05:30मजदूर दिवस ! श्रम दिवस पर हम मजदूर लोगों को याद कर...मजदूर दिवस ! श्रम दिवस पर हम मजदूर लोगों को याद कर लेते हैं और बाकी के 364 दिन उन्हें और उनकी पीड़ा को भूल जाते हैं ... अच्छा लगा कि आप के मजदूर लोग दोस्त हैं और आप में वो जज्बा भी है कि आप ने उनकी पीड़ा को अपनी कविता में स्थान दिया । <br /><br />आज फिर उतर आया है<br />तुम्हारी आँखों में<br />आज भी तुम्हारी आँखें<br />भेड़िये की आँखों सी चमकती हुई<br />कल का खेल <br />खेल रही हैं ।<br /><br />कल का दिन शोषण का था<br />गर आज के दिन को जागृति का दिन बना दें <br />तो फिर <br />भेड़िए की आँखों में वो चमक न होगी <br />और वह कल का सा खेल कभी न खेल पाएगा ।मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-5966773314201976142010-05-01T19:49:58.161+05:302010-05-01T19:49:58.161+05:30भई उस दिन के इंतजार में न जाने कितनों की आखें पथरा...भई उस दिन के इंतजार में न जाने कितनों की आखें पथरा गई।<br />उम्मीद तो रखनी चाहिए , लेकिन खाली उम्मीद से भी क्या होगा।<br /><br />बढ़िया लिखा है ।<br />आजकल पढना लिखना कुछ कम हो गया लगता है।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-13207479041374325422010-05-01T19:07:14.500+05:302010-05-01T19:07:14.500+05:30नमस्कार ,एक कहावत हमारे यहाँ प्रचलित है "कि म...नमस्कार ,एक कहावत हमारे यहाँ प्रचलित है "कि मजदूर कि माँ उसे ये कह कर काम पे भेजती है कि बेटा काम करते हुवे ये याद रखना कि कल भी काम पे जाना है " यानि ज्यादा काम कर के शरीर को थका मत लेना कल भी काम पर जाना है |शंका दूर करे कृपयाDarshan Lal Bawejahttps://www.blogger.com/profile/10949400799195504029noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-86830690633202795312010-05-01T17:51:51.449+05:302010-05-01T17:51:51.449+05:30श्रमिक दिवस पर कविता मेहनतकश की व्यथा को खूब बखान ...श्रमिक दिवस पर कविता मेहनतकश की व्यथा को खूब बखान कर रही है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-82113038466050000622010-05-01T17:39:55.781+05:302010-05-01T17:39:55.781+05:30''Hum mehnatkash jagwalon se jab apna hiss...''Hum mehnatkash jagwalon se jab apna hissa mangenge..'' IPTA ki yaad dila di aapne.<br />aapki kavita to apne aap me ek uphaar hoti hi hai..दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-3913062555880911622010-05-01T16:16:43.041+05:302010-05-01T16:16:43.041+05:30भेड़िये से चमकती आँखों में कल का खेल दिखा रही है ...भेड़िये से चमकती आँखों में कल का खेल दिखा रही है यह कविता ...<br />कल वाला कल कब आएगा ....कितनी आँखों में है ये प्रश्न भी ....वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-30538355809376559652010-05-01T14:41:28.869+05:302010-05-01T14:41:28.869+05:30सही कहा, हमारे देश मै मजदुरो को उन की मेहनत का सिर...सही कहा, हमारे देश मै मजदुरो को उन की मेहनत का सिर्फ़ १०% ही मिलता है बाकी ९०% मिल मालिक ही खाते हैराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-86561825381933084942010-05-01T14:39:02.031+05:302010-05-01T14:39:02.031+05:30कल का वो दिन
आज फिर उतर आया है
तुम्हारी आँखों में
...कल का वो दिन<br />आज फिर उतर आया है<br />तुम्हारी आँखों में<br />आज भी तुम्हारी आँखें<br />भेड़िये की आँखों सी चमकती हुई<br />कल का खेल<br />खेल रही हैं ।<br />लाल सलाम. कुछ कहने की ज़रूरत ही नहीं है. शब्द बोल रहे हैं.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-52964842181344347872010-05-01T13:44:09.352+05:302010-05-01T13:44:09.352+05:30क्या कोई देगा, कब तक देगा , हाथ हम क्यूँ फैलाएं
क...क्या कोई देगा, कब तक देगा , हाथ हम क्यूँ फैलाएं <br />क्यूँ न इसी मिट्टी से हम सपनों का महल बनायेंरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-26017829345520969842010-05-01T13:29:32.189+05:302010-05-01T13:29:32.189+05:30लेकिन कल का दिन
बिगड़ी हुई मशीन सा था
कल का वो दिन
...लेकिन कल का दिन<br />बिगड़ी हुई मशीन सा था<br />कल का वो दिन<br />आज फिर उतर आया है<br />तुम्हारी आँखों में<br />आज भी तुम्हारी आँखें<br />भेड़िये की आँखों सी चमकती हुई<br />कल का खेल <br />खेल रही हैं ।<br />..... Aapki har rachana jiwan ke yatharth dharatal par likhi hoti hain, jo man mein gahre utarkar bahut kuch sochne par mujboor katri hai... Majdoor diwas par betreen prastuti ke liye haardik shubhkamnayne......कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-73223788600855770882010-05-01T13:20:48.967+05:302010-05-01T13:20:48.967+05:30कल का वो दिन
आज फिर उतर आया है
तुम्हारी आँखों में
...कल का वो दिन<br />आज फिर उतर आया है<br />तुम्हारी आँखों में<br />आज भी तुम्हारी आँखें<br />भेड़िये की आँखों सी चमकती हुई<br />कल का खेल<br />खेल रही हैं ।<br />निर्मम सत्य से रु ब रु कराती रचना... मन उद्वेलित कर गयी..rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-85967610706194796742010-05-01T13:04:16.333+05:302010-05-01T13:04:16.333+05:30sab itna kah chuke ki ab kuch kahne ko bacha hinah...sab itna kah chuke ki ab kuch kahne ko bacha hinahi .........sirf itna hi ...............behtreen rachna........majdooron ka dard ubhar kar aaya hai.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-50897654294280683582010-05-01T12:42:33.904+05:302010-05-01T12:42:33.904+05:30बहुत बढ़िया है भाई ...
मेरी कमजोरी है कि मैं अपने...बहुत बढ़िया है भाई ...<br /><br />मेरी कमजोरी है कि मैं अपने मन की बात कहने में खुद को अक्सर असमर्थ पाता हूँ<br />और कभी कह भी लेता हूँ तो समझ में नहीं आता कि "किस से कहें ?"<br /><br />बहरहाल .... आप की रचनाओं पे ..."बहुत उम्दा" .. कहना ही है मेरे बस में .... कमज़ोरी है मेरी ... क्या करें .. "किस से कहें ?"अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-83592013423720516772010-05-01T12:19:36.424+05:302010-05-01T12:19:36.424+05:30श्रम का निर्मम वस्तुकरण यही कराता है !
सुन्दर कवित...श्रम का निर्मम वस्तुकरण यही कराता है !<br />सुन्दर कविता ..Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.com