tag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post6050396752902098456..comments2023-10-29T18:17:34.870+05:30Comments on शको कोश : सच का सामना कीजिये "सच के दर्पण" मेंशरद कोकासhttp://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-26617812249403856262009-09-24T12:52:29.829+05:302009-09-24T12:52:29.829+05:30कड़वी पर सच्ची व्यथा..........................
हाल...कड़वी पर सच्ची व्यथा..........................<br />हालत बदलने को और कित्ता वक्त चाहिए, और कित्ती पढाई करनी पड़ेगी, और कित्ती साक्षरता बढ़नी पड़ेगी, और कितने बजट का प्रावधान करना होगा...............और कितने.......<br /><br />चन्द्र मोहन गुप्त<br />जयपुर<br />www.cmgupta.blogspot.comMumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-26455455541742853832009-09-24T00:38:51.990+05:302009-09-24T00:38:51.990+05:30चाहिए उन्हें वैसे भी ज्यादा शांति
बहुत कम प्रतिरो...चाहिए उन्हें वैसे भी ज्यादा शांति <br />बहुत कम प्रतिरोध अपने घरों में <br />फिर भी <br />अपने एकांत के शब्दरहित लोक में<br />एक प्रतिध्वनि – सी <br />मन के किसी बेचैन कोने से उठती जल की तरंग-सी <br />अपने चेहरे को देखा करती है <br />एक दूसरे के चेहरे में <br />बनाती रहस्यमय ढंग से <br />एक दूसरे को अपने सच का दर्पण ।<br /> <br />aurat ka such.Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-65042229899758940782009-09-23T21:49:28.312+05:302009-09-23T21:49:28.312+05:30बहुत सही क्या बात है, रचनाकार को मेरा सत्-सत् नमन।...बहुत सही क्या बात है, रचनाकार को मेरा सत्-सत् नमन। छोटे सी रचना इतनी बड़ी बात हो गयी, एक स्त्री की व्यथा हो शानदार तरीके से प्रस्तुत किया गया है। बहुत-बहुत बधाईMithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-19760733511271771832009-09-23T19:48:41.237+05:302009-09-23T19:48:41.237+05:30बच्चों जो स्कूल -को !
शेष ठीक है !बच्चों जो स्कूल -को ! <br />शेष ठीक है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-53453499133355999272009-09-23T19:04:21.155+05:302009-09-23T19:04:21.155+05:30घर मा रहवईया माई लोगिन के मन के अन्तरदशा ला बड़ सु...घर मा रहवईया माई लोगिन के मन के अन्तरदशा ला बड़ सुग्घर ढंग से ठाड़-ठाड़ परस्तूतिकरन करे हव सविता सिंग जी आप मन ला मोर गाडा-गाडा बधाई , इही गोठ मा नौकरिहा माई लोगिन मन के सोच हा अलगे हो जथे,ओखर मन के अलगे दुनिया हवय,वो मन कखरो अगोरा नई करय, ओखरे अगोरा करे ला लागथे,अउ आफिस ले आथे ता परघाये ला घलोक लागथे, हमर डाहर ले सबके सम्मान हवे,अउ शरद भईया आपो मन बहुत सुग्घर चर्चा चालू करे हव मजा आवत हे आपो ला बधाई,बने सूत्रधार के बूता धरे रहावसंगी,ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.com