tag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post1390778989570359174..comments2023-10-29T18:17:34.870+05:30Comments on शको कोश : दो अपना हाथ और अपना प्रेम दो मुझेशरद कोकासhttp://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-45267514995515600352010-03-21T23:39:37.633+05:302010-03-21T23:39:37.633+05:30इकलौता फूल!
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फ़क़त घास!
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पहाड़ियों पर बस एक...इकलौता फूल! <br />-- <br />फ़क़त घास! <br />-- <br />पहाड़ियों पर बस एक नृत्य! <br />-- <br /><b>तीनों बिंब एकाकी प्रेम में <br />आलौकिक आभा के <br />मिथक-से बनते प्रतीत हुए! </b>रावेंद्रकुमार रविhttps://www.blogger.com/profile/15333328856904291371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-65423999946885893332010-03-20T23:28:56.208+05:302010-03-20T23:28:56.208+05:30शीर्षक पढ़ कर पहले तो अशोक बाजपेई की एक कविता जेहन ...शीर्षक पढ़ कर पहले तो अशोक बाजपेई की एक कविता जेहन मे आयी..मगर मजमून मे जाते है चीजें एकदम बदल गयी..और सच कहूं तो काफ़ी दुविधा रही कविता क पकड़ने मे..क्या क्या कह जाते हैं कविता के बिम्ब..प्रेम मे स्वत्व को खो कर एकलय, एकरूप हो कर इकलौता फ़ूल होने की कबीर जैसी ख्वाहिश..या आपाधापी के युग मे जीवन के सबसे मूलभूत मगर खो गये तत्वों की तलाश और खुद को मुक्त करने की कामना..जो घास सी हलकी और पहाड़ पर नृत्य सी आदिम है..क्या है पता नही!!अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-28447475422395079162010-03-20T11:40:43.791+05:302010-03-20T11:40:43.791+05:30पहाड़ियों पर बस एक नृत्य
इस से ज़्यादा कुछ नहीं
प्रे...पहाड़ियों पर बस एक नृत्य<br />इस से ज़्यादा कुछ नहीं<br />प्रेम में खोकर मुक्त होकर भी पहाडियों पर सिर्फ एक नृत्य के रूप में बने रहने की कामना अदभुत है .अशोक जी का सुंदर अनुवाद और सुंदर प्रस्तुति . बधाई शरद जी !प्रज्ञा पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/03650185899194059577noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-88495331237938277712010-03-20T07:31:56.925+05:302010-03-20T07:31:56.925+05:30अद्भुत कविता ! खूबसूरत अनुवाद ! अशोक जी का स्तुत्य...अद्भुत कविता ! खूबसूरत अनुवाद ! अशोक जी का स्तुत्य प्रयास है यह ! <br />अभी तो सारी पिछली प्रविष्टियाँ पीने की राह पर हूं ! उपस्थिति-टिप्पणी दे रहा हूं । <br />आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-4963310208030568342010-03-20T01:38:47.904+05:302010-03-20T01:38:47.904+05:30निश्छल प्रेम !!! जो कभी एक नृत्य बन जाता है तो कभी...निश्छल प्रेम !!! जो कभी एक नृत्य बन जाता है तो कभी फूल और कभी सुन्दर गीत । जरूरत है हाथ बढ़ाकर उस प्रेम को छूने की, बाकी काम तो प्रेम स्वंय कर लेता है, हवा में तैरते फ़ख़त घास रास्ते बन जाते है । मुक्त हो जाता है जीव स्वंय से । अनुवाद के लिये श्री अशोक पाण्डेय जी एवं ब्लाग पर प्रकाशित करने के लिये आपका आभार । शुभकामनायें ।Chandan Kumar Jhahttps://www.blogger.com/profile/11389708339225697162noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-33070008895198500172010-03-20T01:37:48.798+05:302010-03-20T01:37:48.798+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Chandan Kumar Jhahttps://www.blogger.com/profile/11389708339225697162noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-29218224061149588532010-03-19T23:56:30.001+05:302010-03-19T23:56:30.001+05:30लेकिन अपने अपने नामों को खो कर हम दोनों मुक्त हो ज...लेकिन अपने अपने नामों को खो कर हम दोनों मुक्त हो जाएंगे<br />पहाड़ियों पर बस एक नृत्य<br />इस से ज़्यादा कुछ नहीं<br />हम बने रहेंगे<br />पहाड़ियों पर बस एक नृत्य<br />शरद जी आज की पोस्ट भी उतनी ही उत्कृष्ट कोटि की है जितनी आपकी इस श्रंखला की बाकी हैं.मुझे जो समझ आया उसके हिसाब से एक बहुत खूबसूरती से लिखी गयी व्यथा है जो किसी का साथ पाने की तीव्र बलवती होती इक अभिलाषा, हर पल हर साँस में इक जिंदगी जी लेने की अनकही सी दास्ताँ सी लगती हैरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-59383102030833873372010-03-19T22:18:00.669+05:302010-03-19T22:18:00.669+05:30शरद जी ! कविता के अनुवाद पर मैं निशब्द हूँ...अशोक ...शरद जी ! कविता के अनुवाद पर मैं निशब्द हूँ...अशोक जी को सलामshikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-42113441737992957342010-03-19T20:44:54.088+05:302010-03-19T20:44:54.088+05:30...यह तो कबीर का 'अनहद' आनंद है!
दूर देश ......यह तो कबीर का 'अनहद' आनंद है!<br /><br />दूर देश के मानव आपस में गूंगे-बहरे होते<br />कैसे भाव होते अभिव्यक्त सोंचता यदि अनुवादक ना होते!<br />..अशोक जी के अनुवाद को प्रणाम.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-593842467744988302010-03-19T17:05:47.003+05:302010-03-19T17:05:47.003+05:30कभी-कभी ख्याति भी कितना दंश देने लगती है! सामान्य ...कभी-कभी ख्याति भी कितना दंश देने लगती है! सामान्य जीवन जीने की ख्वाहिश बलवती हो उठी है रचना में. ग्राबिएला की श्रेष्ठ रचनाओं में से एक है ये. बधाई और धन्यवाद, आपको और अशोक जी को.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-86265349104103793032010-03-19T13:29:29.401+05:302010-03-19T13:29:29.401+05:30''लेकिन अपने अपने नामों को खो कर हम दोनों ...''लेकिन अपने अपने नामों को खो कर हम दोनों मुक्त हो जाएंगे''<br />अर्थ की सघनता कविता का उत्कर्ष है ....शब्द्सत्ता मे विलीन हो गई .<br />हार्दिक बधाई .सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-43949524476928617242010-03-19T13:22:50.358+05:302010-03-19T13:22:50.358+05:30उम्मीद है मेरा नाम और गु़लाब तुम्हारा
लेकिन अपने अ...उम्मीद है मेरा नाम और गु़लाब तुम्हारा<br />लेकिन अपने अपने नामों को खो कर हम दोनों मुक्त हो जाएंगे<br /><br />बहुत ही प्यारी सी कविता...एक सुखद अनुभूति लिए..rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-86063248620631926862010-03-19T13:06:12.847+05:302010-03-19T13:06:12.847+05:30शरद भाई,
गाब्रीएला मिस्त्राल की लेखनी को सलाम...
...शरद भाई,<br />गाब्रीएला मिस्त्राल की लेखनी को सलाम...<br /><br />वैसे हाथ तो हमारे देश में भी कमाल दिखा रहा है...चुनाव से पहले भीख की तरह फैल कर वोट लेता है...चुनाव के बाद वही महंगाई की शक्ल में हमारे गाल पर रोज़ तड़ से जड़ा जाता है...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-63208703019762761162010-03-19T10:47:22.049+05:302010-03-19T10:47:22.049+05:30बहुत ही सुन्दर भाव्…………………।उतनी ही सुन्दर प्रस्तुत...बहुत ही सुन्दर भाव्…………………।उतनी ही सुन्दर प्रस्तुति।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-54078742536294064162010-03-19T10:07:28.288+05:302010-03-19T10:07:28.288+05:30धन्यवाद । नहीं भाई मैं एक मामूली सा इंसान हूँ .. ग...धन्यवाद । नहीं भाई मैं एक मामूली सा इंसान हूँ .. गुरू तो ये हैं "बीसवीं सदी के महानतम कवियों में शुमार पाब्लो नेरूदा को कविता लिखने की ओर प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली गाब्रीएला मिस्त्राल "शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-7090440536776928932010-03-19T09:54:30.668+05:302010-03-19T09:54:30.668+05:30दो अपना हाथ और अपना प्रेम दो मुझे
अपना हाथ दो मुझे...दो अपना हाथ और अपना प्रेम दो मुझे<br />अपना हाथ दो मुझे और मेरे साथ नाचो<br />बस एक इकलौता फूल<br />इस से ज़्यादा कुछ नहीं<br />हम बने रहेंगे<br /><br /><br />हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-38958758698009177812010-03-19T09:53:57.790+05:302010-03-19T09:53:57.790+05:30kulwant ji ne sahi kaha gurdev hai aap....kulwant ji ne sahi kaha gurdev hai aap....संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-12285433682687377492010-03-19T09:36:32.897+05:302010-03-19T09:36:32.897+05:30गुरूदेव...इस कविता को मैं अपने ब्लॉग पर लगाए की अन...गुरूदेव...इस कविता को मैं अपने ब्लॉग पर लगाए की अनुमति माँग रहा हूँ..उम्मीद है गुरूदेव मना नहीं करेंगे।.....<br /><br />अपना हाथ दो मुझे<br /><br />दो अपना हाथ और अपना प्रेम दो मुझे<br />अपना हाथ दो मुझे और मेरे साथ नाचो<br />बस एक इकलौता फूल<br />इस से ज़्यादा कुछ नहीं<br />हम बने रहेंगे<br />बस एक इकलौता फूल.<br />साथ नाचते हुए मेरे साथ एक लय में<br />तुम गीत गाओगे मेरे साथ<br />हवा में फ़क़त घास<br />इस से ज़्यादा कुछ नहीं<br />हम बने रहेंगे<br />हवा में फ़क़त घास.<br />उम्मीद है मेरा नाम और गु़लाब तुम्हारा<br />लेकिन अपने अपने नामों को खो कर हम दोनों मुक्त हो जाएंगे<br />पहाड़ियों पर बस एक नृत्य<br />इस से ज़्यादा कुछ नहीं<br />हम बने रहेंगे<br />पहाड़ियों पर बस एक नृत्यKulwant Happyhttps://www.blogger.com/profile/04322255840764168300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-57404273957506171022010-03-19T09:03:08.238+05:302010-03-19T09:03:08.238+05:30बस इकलौता फूल
हवा में फकत घास
पहाड़ियों पर बस एक...बस इकलौता फूल <br />हवा में फकत घास <br />पहाड़ियों पर बस एक नृत्य<br /> <br />अपने नाम खोकर मुक्ति ...<br /> <br />बन्धु! इस कविता का विश्लेषण नहीं कर सकता। बस अनुभव कर सकता हूँ। किए जा रहा हूँ। ... ऐसी स्थिति आ जाय तो बस जीवन पूर जाय। .. ना ना कोई वाद नहीं।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-25610718119671067762010-03-19T08:41:21.053+05:302010-03-19T08:41:21.053+05:30niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8257485340998190162.post-65946606599307761912010-03-19T07:57:45.688+05:302010-03-19T07:57:45.688+05:30अशोक भाई ने उम्दा अनुवाद किया है...अनुवाद कहीं से ...अशोक भाई ने उम्दा अनुवाद किया है...अनुवाद कहीं से भी अनुवाद सा नहीं लगता है..एक मौलिक रचना ही प्रतीत होता है..यही खूबसूरती है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com